सियासी करवट बदल रहा नेपाल, दलों में राजा ज्ञानेंद्र का डर: पूर्व राजा की रैली में सीएम योगी आदित्यनाथ के लहराए पोस्टर…
राजशाही और हिन्दू समर्थकों के बढ़ते समर्थन से घबराए राजनेता, राजशाही समर्थक रैली में मुख्यमंत्री योगी के पोस्टर लहराने के बाद विवाद…;
विकास सिंह, सिद्धार्थनगर। पड़ोसी राष्ट्र नेपाल की राजधानी काठमांडू में पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के स्वागत में हुई राजशाही समर्थक रैली में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पोस्टर लहराये जाने के बाद सरकार और राजशाही समर्थकों में विवाद छिड़ गया है।
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली सरकार के राजनैतिक सलाहकार विष्णु रिमाल ने इसे आपत्तिजनक बताते हुए राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी को आड़े हाथों लिया है। यही नहीं रिमाल ने उन पर दूसरे देश के हाथों में खेलने का आरोप लगा दिया है। रैली के तेवर को देखकर लोग नेपाल के पुनः हिंदू राष्ट्र वापसी की कल्पना करने लगे हैं।
नेपाल के अलग-अलग इलाकों में धार्मिक दौरा करने के बाद पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह 9 मार्च को राजधानी काठमांडू पहुंचे। वह जैसे ही त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरे राजशाही समर्थक राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (राप्रपा) के नेताओं और कार्यकर्ताओं सहित बड़ी तादाद में समर्थकों ने उनके पक्ष में जमकर नारेबाजी की। इसके बाद पूर्व राजा के समर्थन में रैली निकाली गई।
बाइक सवार सैकड़ों समर्थकों ने ज्ञानेंद्र शाह की तस्वीरें और राष्ट्रीय झंडे लहराए। कुछ समर्थकों ने ज्ञानेंद्र शाह के साथ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें भी लहराई। सीएम योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें लहराने जाने के बाद नेपाल के विभिन्न राजनीतिक दलों सहित आम जनता ने सोशल मीडिया पर इसकी आलोचना करने के बाद आपत्तिजनक जताई।
जिसके जवाब में राप्रपा प्रवक्ता ज्ञानेंद्र शाही ने आरोप लगाया कि आदित्यनाथ की तस्वीर का प्रदर्शन केपी ओली के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा राजशाही समर्थक आंदोलन को बदनाम करने का जानबूझकर किया गया प्रयास है।
नेपाल के राजनीतिक दलों में डर का माहौल : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भारत में हिंदुत्व का बड़ा चेहरा हैं, जो बहुत तेजी से नेपाल के हिंदूवादी संगठनों के रोल मॉडल भी बनते जा रहे हैं। काठमांडू रैली में पूर्व राजा के साथ योगी आदित्यनाथ की फोटो लहराये जाने से नेपाल की वामपंथी व कांग्रेस जैसी धर्म निरपेक्ष पार्टियां चौंक गईं हैं।
उन्हें आशंका है कि हिंदुत्व की यह तपिश अब सीमा पार कर नेपाल में पहुंचने लगी है। इससे नेपाल के सभी राजनीतिक दलों की गर्मी अचानक चिंताजनक रूप में बढ़ने लगी है। शायद इसी आशंका के कारण सत्ताधारी दल की प्रतिक्रिया में दलाल जैसे कठोर शब्दों का रूपक के तौर पर भी प्रयोग किया है, जिसको भारत से जोड़कर देखा जा रहा है।
सीमावर्ती इलाकों में समर्थकों द्वारा किया जा रहा प्रदर्शन : ज्ञानेंद्र शाह जनवरी में उत्तर प्रदेश पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी। पूर्व राजा के समर्थक पिछले कुछ दिनों से काठमांडू और पोखरा सहित देश के अलग-अलग हिस्सों में रैलियां निकाल रहे हैं, जिसमें वे 2008 में जन आंदोलन के बाद समाप्त किए गए राजतंत्र की बहाली की मांग कर रहे हैं।
सीमावर्ती कपिलवस्तु जिले के कृष्णा नगर स्थित गोल घर चौराहे पर राप्रपा एवं राजतंत्र समर्थकों द्वारा पूर्व राजा के समर्थन में मोमबत्तियां जलाई गईं। प्रेम शंकर शुक्ल, श्याम कुमार मिश्र, सोनू मोदनवाल, रवि प्रकाश कसौधन आदि ने देश का शासन शीघ्र ही राजा के हाथों में दिए जाने की मांग की।