नवरात्रि 2025 विशेष: साल में दो नवरात्रि क्यों मनाई जाती हैं? भगवान राम से है ख़ास संबंध

नवरात्रि का त्यौहार साल में दो बार मनाया जाता है चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र। नवरात्र का शाब्दिक अर्थ है नौ रातें इन नौ रातों की गिनती अमावस्या के अगले दिन से की जाती है।;

Update: 2025-03-26 03:54 GMT
साल में दो नवरात्रि क्यों मनाई जाती हैं? भगवान राम से है ख़ास संबंध
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नवरात्र या नवरात्रि यानी नौ रातों का वह भव्य उत्सव जिसमें शक्ति के नौ रूपों की पूजा की जाती है, यह त्यौहार साल में दो बार मनाया जाता है चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र। नवरात्र का शाब्दिक अर्थ है नौ रातें इन नौ रातों की गिनती अमावस्या के अगले दिन से की जाती है। चैत्र नवरात्रि ग्रेगोरियन कैलेंडर के मार्च या अप्रैल के महीने में पड़ती है और शारदीय नवरात्र अश्विन मास यानी सितंबर या अक्टूबर के महीने में होती है।

क्या होती है गुप्त नवरात्रि

वैसे तो साल में चार नवरात्रि होती हैं, इनमें से दो बार गुप्त नवरात्र पड़ती हैं। पहली गुप्त नवरात्रि माघ महीने के शुक्ल पक्ष में और दूसरी आषाढ महीने के शुक्ल पक्ष में आती है। इन दोनों नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है और इन्हें गुप्त तरीके से ही अधिकतर मनाया जाता है। गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं की गुप्त रूप से ही साधना की जाती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है, इसलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। इनमें नौ दिनों तक मां दुर्गा की तंत्र साधना और तंत्र सिद्धि की जाती है।

भगवान राम ने रखा था शारदीय नवरात्रि का व्रत

बंगाली कृति वासी रामायण में इसमें राम को दुर्गा पूजा करते हुए वर्णित किया गया है। कहा जाता है कि शारदीय नवरात्रि का व्रत भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए किया था। उन्होंने पूर्ण विधि विधान से महाशक्ति की पूजा और उपासना की थी, इसके बाद नौ दिनों तक शक्ति की आराधना के बाद दसवें दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। इसी तरह महाकाव्य महाभारत में दो बार दुर्गा स्तुति का वर्णन है।

क्यों मनाई जाती हैं दो नवरात्रि?

नवरात्रि त्यौहार साल में दो बार मनाए जाने के पीछे प्राचीन कथाओं का उल्लेख भी पुराणों में मिलता है माना जाता है कि पहले नवरात्रि सिर्फ चैत्र नवरात्रि के रूप में होती थी जो कि ग्रीष्म काल के प्रारंभ से पहले मनाई जाती थी। लेकिन जब श्री राम ने रावण से युद्ध किया और उनकी विजय हुई तो विजय होने के बाद वह मां का आशीर्वाद लेने नवरात्रि की प्रतीक्षा नहीं करना चाहते थे इसलिए उन्होंने एक विशाल दुर्गा पूजा आयोजित की इसके बाद से ही नवरात्रि का पर्व साल में दो बार मनाया जाने लगा।

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