मुडिया पूनों-तलहटी श्री गोवर्धन की चलिए.....

-परिक्रमा के लिए गोवर्धन पहुंचने लगी श्रद्धालुओं की टोली

Update: 2019-07-12 15:51 GMT

गोवर्धन। ब्रजभूमि की अनन्य रसधरा श्रीगोवर्धन में शुक्रवार से विश्व प्रसिद्ध श्री मुड़िया पूर्णिमा का पंचदिवसीय महोसत्सव प्रारंभ हो गया। मुड़िया पूर्णिमा मेला के लिए गिरिराजजी महाराज धाम की तलहटी की सुंदरता देखते ही बन रही है। मंदिरों पर साज-सज्जा के साथ की श्रद्धालुओं की टोलियों से गोवर्धन की सड़कें अटी पड़ी हैं। तो वहीं सुरक्षाकर्मियों ने भी सुरक्षा व्यवस्था की नाकाबंदी कर ली है। सुपर जोनल, जोनल और सेक्टर मजिस्ट्रेटों ने टीम के साथ डेरा डाल लिया है।

राजकीय मुड़िया मेला में पांच दिन तक गिरिराजजी की सात कोस की परिक्रमा लगाने के लिए लाखों परिक्रमार्थी देशभर से गोवर्धन पहुंचना शुरू हो गए हैं। अंतिम तीन दिनों में यहां मानव श्रृंखला बन जाएंगी। कई सालों से यही सिलसिला चला आ रहा है। इसके लिए गिरिराजजी धाम पूरी तरह से तैयार है। परिक्रमार्थियों की सेवा के लिए लोगों ने परिक्रमा मार्ग में प्याऊ और भंडारे के लिए अपने तंबू डेरा तान दिए हैं। दानघाटी मंदिर, मुकुट मुखारविद मंदिर, लक्ष्मी नारायण मंदिर, हर गोकुल मंदिर और जतीपुरा मुखारविद को आकर्षक रंग-बिरंगी लाइट से सजाया गया है।

बिछड़ों को अपनों से मिलाएगा व्हाट्सअप ग्रुप

आइजी ए सतीश गणेश ने बताया कि इस बार अपनों से बिछुड़ों को मिलाने में पुलिस का वाट्सएप ग्रुप मददगार साबित होगा। मेला में तैनात कर्मियों के फोन पर बिछुड़ों का फोटो और डिटेल उपलब्ध रहेगी। आपात काल में कंट्रोल रूम के नंबर 9454457987 पर संपर्क किया जा सकात है।


श्रद्धालु रखें इन बातों का ध्यान

-भीड़ की अधिकता के कारण परिक्रमा की शुरुआत दंडवती से न करें

-संदिग्ध वस्तुओं को न छुएं

-परिक्रमा मार्ग में किसी भी तरह का वाहन प्रतिबंधित

-बीपी के मरीज धीमी चाल से चलें

-ढीले सूती वस्त्र पहन परिक्रमा लगाने से राहत मिलेगी

-मेले आभूषण पहनकर न आएं

-मंदिर में मोबाइल और पर्स संभाल कर रखें

-बीमार व्यक्ति दवा साथ लेकर चले

-बच्चों की जेब में नाम, पता फोन नंबर की पर्ची रखें


श्री सनातन गोस्वामी जी के तिरोभाव से प्रारंभ हुई परिक्रमा की परंपरा

परिक्रमा की शुरूआत वृंदावन के साधक सनातन गोस्वामी के तिरोभाव के साथ हुई। ब्रज से जुड़ी पांडुलिपियों में उल्लेख है कि ठा. मदन मोहन के साधक एवं चैतन्य महाप्रभु के अनुयायी सनातन गोस्वामी प्रतिदिन आराध्य की सेवा पूजाकर गिरिराजजी की परिक्रमा करने जाते थे। जीवन के अंतिम पड़ाव में जब परिक्रमा करने में सक्षम न रहे सनातन को भगवान ने दर्शन देकर गिरिराज शिला प्रदान की और कहा कि वह उसी शिला की परिक्रमा करेंगे तो गिरिराज परिक्रमा का पुण्य मिलेगा।


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