आगरा में पहले महिला क्रिकेट संघ की अध्यक्ष रहीं थी शीला दीक्षित
-ताजनगरी से खासा लगाव रखती थीं शीला दीक्षित, पति विनोद कुमार दीक्षित रहे थे जिलाधिकारी
आगरा। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री शीला दीक्षित के शनिवार को हुए दुःखद निधन से ताजनगरी में भी शोक की लहर है। आगरा निवासियों का शीला दीक्षित और उनके परिवार से काफी करीबी रिश्ता रहा है। शीला दीक्षित का भले ही आगरा से एक राजनेता के तौर पर कोई प्रत्यक्ष नाता न रहा हो, लेकिन आगरा की धरती से उनका जुड़ाव सदा रहा है।
दरअसल शीला दीक्षित के पति स्व. विनोद कुमार दीक्षित आगरा में जिलाधिकारी रहे थे। 10 मार्च 1976 को उनकी तैनाती हुई थी। तब शीला दीक्षित भी आगरा में अपने पति के साथ रहीं थीं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता भारत भूषण गप्पी ने बताया कि शीला जी के पति जब जिलाधिकारी थे, तब शीला जी राजनीति में बिल्कुल भी रूचि नहीं लेती थीं, लेकिन शीला जी शहर की सांस्कृतिक गतिविधियों में हिस्सा जरूर लेती थीं। वरिष्ठ पत्रकार राजीव सक्सेना के बताया कि शीला दीक्षित के श्वसुर उमाशंकर दीक्षित कांग्रेस सरकार के दौरान गृहमंत्री थे। जिसके चलते राजनीतिक गतिविधियों में भी उनका झुकाव था। शीला दीक्षित युवा कांग्रेस के पांच सूत्रीय कार्यक्रम से जुड़ी हुई थीं। यहां उन्होंने पौधारोपण अभियान भी चलाया था। वे रक्तदान शिविर में भी बढ़चढ़ कर भाग लेती थीं।
आगरा के कार्यकर्ताओं की करतीं थी चिंता
पूर्व मंत्री कृष्णवीर सिंह कौशल ने बताया कि शीला दीक्षित भले ही दिल्ली रहतीं थी लेकिन, आगरा से जब भी कोई कांग्रेस कार्यकर्ता उनसे मिलने जाता था तो उनसे सहजता से मिलती थीं और हाल-चाल लेती थीं। कृष्णवीर कौशल ने बताया कि 1977 के विधानसभा चुनाव में उनके लिए शीला दीक्षित ने प्रचार भी किया था। कृष्णवीर कौशल ने बताया कि शीला जी ने जिनते भी विधानसभा व संसदीय चुनाव लड़े वह एक महीने के लिए प्रचार के लिए दिल्ली जरूर जाते थे और छह महीने पूर्व हुई मुलाकात में वह कहीं से भी अस्वस्थ प्रतीत नहीं हो रहीं थीं।
आगरा की पहली महिला क्रिकेट संघ की रहीं थी अध्यक्ष
आगरा में क्रिकेट संघ की स्थापना करने वाले कैप्टन व्यास चतुर्वेदी ने बताया कि शीला जी के पति विनोद कुमार दीक्षित और वह साथ क्रिकेट खेला करते थे। तभी किके्रट संघ की स्थापना की योजना बनी और उन्होंने शीला दीक्षित को पहली महिला क्रिकेट संघ का अध्यक्ष बनाया था। कैप्टन व्यास चतुर्वेदी ने बताया कि शीला जी को कला व संस्कृति से अभिन्न लगाव था। उन्होंने अपने घर पर कई सांस्कृतिक संध्या व नाटकों का मंचन कराया था।