आगरा। ब्रज की 13 लोकसभा सीटों में से 10 पर भाजपा का कब्जा है लेकिन इस बार भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती सपा-बसपा गठबंधन भाजपा के लिए रोड़ा बना हुआ है। कुछ सीटों पर टिकट काटने व बदलने से भाजपा को अपनों का भी आंतरिक विरोध झेलना होगा। कुल मिलकर लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा लाख दावे करे लेकिन ब्रज में भाजपा की राह आसान नहीं दिख रही है।
पिछले लोकसभा चुनाव से ब्रज क्षेत्र की दस सीटों पर भाजपा का कब्जा है। अब इस चुनाव में भाजपा के सामने आगरा, फतेहपुर सीकरी, मथुरा, अलीगढ़, बरेली, हाथरस, एटा, आंवला, शाहजहांपुर, पीलीभीत में फिर से कब्जा बरकरार रखने की चुनौती है। पिछ्ले चुनाव में फिरोजाबाद, मैनपुरी, बदायूं पर सपा ने जीत हासिल की थी। इस बार सपा-बसपा, रालोद के गठबंधन के बाद मुकाबला रोचक हो गया है। ऐसे में भाजपा को अपने पुराने किले को बचाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी होगी। सपा-बसपा के पास वोट बैंक है और भाजपा अपने विकास के एजेंडे को लेकर ही चुनाव मैदान में है।
ब्रज क्षेत्र का चुनाव कार्य देख रहे भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता हरीश श्रीवास्तव ने मंगलवार को हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि भाजपा को गठबंधन से कोई नुकसान नहीं है। यह चुनाव प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में लड़ा जा रहा है। विकास कार्यों को लेकर भाजपा के कार्यकर्ता चुनाव मैदान में हैं। भाजपा का हर कार्यकर्ता खुद को प्रत्याशी मान कर काम कर रहा है। उन्होंने गठबंधन को लेकर कहा कि सपा-बसपा का गठबंधन नेताओं में हुआ है, कार्यकताओं के बीच नहीं। कांग्रेस की स्टार प्रचारक प्रियंका को लेकर कहा कि प्रदेश में उनका कोई जादू नहीं चलेगा।