चामुंडा मईया की जोत जलाने आते थे अंग्रेज अधिकारी
350 वर्ष पुराना है राजामंडी रेलवे स्टेशन का चामुंडा देवी मंदिर
आगरा। शहर के राजामंडी रेलवे स्टेशन के समीप चामुंडा देवी मंदिर अपने आंचल में ना केवल भक्ति की धारा को प्रवाहित करता है बल्कि, इतिहास और कई गाथाओं को अपने भीतर समेटे हुआ है। नवरात्रि में यहां देवी की पूजा करने दूर-दूर से भक्त आते हैं। मान्यता है कि यह देवी मंदिर करीब 350 वर्ष पुराना है। मंदिर में माता रानी के नौ स्वरूप स्थापित हैं।
स्वंय प्रकट हुई मां चामुंडा देवी
मंदिर मुख्य महंत वीरेंद्र आनंद ब्रह्मचारी ने कहा कि क्षेत्र में पहले टीले थे। मान्यता है कि चामुंडा देवी की मूर्ति स्वंय प्रकट हुई। मंदिर में नौ देवियों के अलावा भैरों बाबा, बालाजी, हनुमानजी, गणेशजी, शंकरजी, काली देवी, महालक्ष्मी, राधा-कृष्ण, राम दरबार की मूर्तियां भी हैं।
माता के चमत्कार के आगे अंग्रेजों को घुमानी पड़ी रेलवे लाइन
मंदिर महंत वीरेंद्र आनंद ब्रह्मचारी ने बताया कि अंग्रेज अधिकारियों ने मंदिर को तोड़ने की कोशिश की। लेकिन मां चामुंडा देवी जी के चमत्कार के कारण वह अपने इरादों में सफल नहीं हो सके, आखिरकार अंग्रेज अधिकारियों को ट्रेन की पटरियों को घुमाना पड़ा, जो आज भी उसी शक्ल में मौजूद है। रेलवे का कोई भी अधिकारी राजा मंडी स्टेशन पर आता है तो वह पहले माता के चौखट पर जरूर माथा टेकता है, मंदिर के सामने कोई भी रेलवे की दुर्घटना नहीं हुई हैै।
इनका कहना है
सभी भक्त नवरात्र में घरों पर कलश स्थापना कर माता की जोत जलाएं और पूरे परिवार के साथ संयुक्त रूप से माता रानी की पूजना-अर्चना करें। नौ दिवस के या पडवा और अष्टमी का व्रत रख देवी की आराधना करे। अगर यह संभव ना हो सकें तो एक समय निराहार रहे।
-वीरेंद्र आनंद ब्रह्मचारी, मुख्य महंत, प्राचीन मां चामुंडा देवी मंदिर