आगरा। कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में कोहराम मचा रखा है। इस जानलेवा वायरस से दुनिया भर में लाखों लोगों की मौत हो चुकी है। कोविड-19 के कारण मौतों की बढ़ती संख्या पूरी दुनिया को टेंशन दे रहा है। भारत में कोरोना के संक्रमण के मामलों में कमी आ रही है। लेकिन परेशान करने वाली बात यह है कि कोरोना से मौतों का आंकड़ा घट नहीं रहा।
बता दें कि इस संक्रमण के कारण चारों ओर पसरा मौत का खौफ। दरो-दीवारों पर अदृश्य दुश्मन का साया। सफेद चोगे पर जीवन रक्षक पहने डाक्टर। न दिखने वाले शत्रु की मार से घायल पड़े लोग और इन्हें बचाने की जद्दोजहद। ऐसे माहौल में भी जीवन की किलकारी गूंज पड़ी। बेदम और घबराए चेहरे खिल गए। आशाओं के नए द्वार खुल गए। सिद्ध हो गया कि जीवन यूं ही चलता रहेगा...।
यह कमाल एसएन मेडिकल कॉलेज के कोविड अस्पताल में सोमवार को हुआ। सुबह करीब 9:45 बजे यहां काजीपाड़ा की कोरोना संक्रमित महिला को भर्ती किया गया था। महिला नौ माह से गर्भवती थी। उसे पांच दिन से बुखार था। हालत लगातार बिगड़ रही थी। दोपहर करीब 12 बजे प्रसव पीड़ा हुई तो महिला चिकित्सकों को बुलाया गया। एसएन की जूनियर डॉक्टर योगिता गौतम, डॉ. साना ने सामान्य प्रसव की बजाए ऑपरेशन का फैसला लिया। करीब डेढ़ घंटे की मेहनत के बाद दोपहर 1:40 बजे महिला ने बालक को जन्म दिया।
कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए ऑपरेशन थियेटर में गई पूरी टीम को पीपीई किट, मास्क, ग्लब्स के साथ पुख्ता सुरक्षा इंतजाम के साधन उपलब्ध कराए गए थे। डॉक्टरों के मुताबिक, अभी यह कहना उचित नहीं होगा कि संक्रमित गर्भवती महिला से जन्मा बच्चा संक्रमित है या नहीं। क्योंकि ऐसे मामलों में अभी तक कोई रिसर्च सामने नहीं आई है। एसएनएमसी प्रशासन बच्चे की जांच कराने पर विचार कर रहा है। डॉ. प्रशांत गुप्ता, नोडल अधिकारी कोविड अस्पताल ने बताया कि इसी तरह के संभावित मरीजों को ध्यान में रखकर कोविड अस्पताल बनाया गया है। अब यह सुविधाएं काम आ रही हैं। हमारे डॉक्टरों ने बहुत जोखिम का मुकाबला करते हुए एसएनएमसी की गरिमा को कायम रखा है। कोविड अस्पताल में बच्चे के जन्म के बाद डाक्टर खुश हैं। मरीजों को भी बहुत प्रसन्नता हुई है। यह हमारे लिए बहुत भावुक पल हैं।
फिलहाल बच्चे को परिवारीजनों के साथ घर भेज दिया गया है। इससे पहले उसे मां का दूध भी पिलवाया गया। इस दौरान मां को एन-95 मास्क पहनाकर सेनेटाइज किया गया। परिवारीजनों ने बच्चे के संक्रमित होने के खतरे के बारे में पूछा तो डाक्टरों ने बताया कि अभी तक किसी प्रसव में बच्चे के संक्रमित होने का कोई वैज्ञानिक आधार सामने नहीं आया है। विशेषज्ञों का दल चाहेगा तो टेस्ट कराएंगे।
आगरा और आसपास के जिलों में यह अभी तक का पहला मामला है, जहां किसी कोरोना संक्रमित महिला ने बच्चे को जन्म दिया है। एसएन अस्पताल के लिए यह बड़ी उपलब्धि है। कारण कि संक्रमित का किसी भी तरह का ऑपरेशन डाक्टर समेत पूरी टीम के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। पेट खोलने के बाद संक्रमण की स्थिति क्या होगी, इसका अंदाजा लगा पाना भी बेहद मुश्किल काम है।