मथुरा। जीएलए विश्वविद्यालय के पुस्तकालय विभाग द्वारा साइंटिफिक राइटिंगरू हाउ टू पब्लिश ए पेपर इन हाईली इंपैक्ट जर्नल विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें स्पेन से शामिल हुए मुख्य अतिथि बेंथम साइंस के निदेशक डा. फ्रांस लैटनस्टॉर्म तथा प्रेप2एक्सेल की संस्थापक एवं रिसर्च पब्लिकेशन एक्सपर्ट डा. शाजिया राशिद ने वैज्ञानिक विधि में अत्याधिक प्रभावी रिसर्च पेपर लिखने के गुर बताए।
कार्यशाला का शुभारंभ अतिथिगणों के अलावा कमल बाबू एवं उदित तौमर, जीएलए विश्वविद्यालय के डीन एकेडमिक प्रो. आशीष शर्मा, फार्मेसी विभाग के निदेशक डा. अरोकिया बाबू, विभागाध्यक्ष प्रो. मीनाक्षी बाजपेई, कृषि विभाग के डीन प्रो. सुरेंद्र सिंह सिवाच तथा पुस्तकालय विभाग के विभागाध्यक्ष डा. राजेश कुमार ने मां सरस्वती एवं प्रेरणास्रोत गणेशीलाल अग्रवाल के चित्रपट के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर किया।
डा. फ्रांस लैटनस्टॉर्म ने प्रतिभागियों को शोध के लेखन कौशल को कैसे विकसित करना है तथा उच्च प्रभावशाली पत्रिकाओं में प्रकाशित करने के तरीकों के बारे में बताया। उन्होंने शोध और प्रकाशन की आवश्यकताओं पर जोर देते हुए कहा कि आज के तकनीकी युग में बेहतर शोध पत्र लिखने में पहला कदम सही शोध विषय को अंतिम रूप देना है। एक उचित दृष्टिकोण के साथ शुरूआत करें फिर विषय को परिष्कृत करें और इसे किसी ऐसी चीज तक सीमित करें, जिससे आप पूरी तरह से संतुष्ट हों। ऐसा विषय चुनें जो न केवल मौलिक हो, आपके क्षेत्र में मौजूदा ज्ञान को बढ़ा सके, आपके इच्छित दर्शकों के लिए दिलचस्प हो और जिसके बारे में आप भावुक हों।
पुस्तकालयाध्यक्ष डा. राजेश कुमार ने शिक्षा जगत के लिए अनुसंधान संसाधन और मैट्रिक्स के बारे में विस्तार से बताया। कहा कि अनुसंधान मैट्रिक्स आपकी गुणवत्ता को मापने का एक तरीका प्रदान करता है, जो शैक्षणिक एवं शोध क्षेत्र में आपके प्रदर्शन का प्रमाण प्रदान करता है और विश्वविद्यालय परिवार के साथ समाज में योगदान और मूल्यांकन का वर्णन करने में भी मदद करता है। डा. शाजिया राशिद ने बताया कि शोधकर्ता अपने शोध क्षेत्र में प्रमुख शोधकर्ताओं और शोध रुझानों की पहचान करने में सहायता के लिए मैट्रिक्स का उपयोग कर सकते हैं। उन्होंने बताया कैसे अपने शोध विषय का चुनाव, प्रपत्र की गुणवत्ता सुनिश्चित, शोध लेखन से प्रकाशन तक की संपूर्ण विधि का पालन और कैसे प्रकाशन के लिए सही पत्रिका का चुनाव करें। कमल बाबू ने भी बेंथम साइंस के बारे में विस्तार से अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यशाला में फार्मेसी, एग्रीकल्चर, बायोटेक विभाग के प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिसमें छात्र, व्याख्याता और शोधकर्ता आदि शामिल रहे। कार्यशाला का समापन उपपुस्तकालयाध्यक्ष डा. शिव सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया।
जीएलए सीईए विभाग में हुई पांच दिवसीय कार्यशाला
जीएलए विश्वविद्यालय के कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग में प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों के लिए 5 दिवसीय 4 कार्यषालाएं आयोजित हुईं। ब्लॉकचेन और डैप्स परिचय विषय पर आयोजित कार्यशाला में रिसोर्स पर्सन गिव माइ सर्टिफिकेट के सीईओ एवं कोफाउंडर रवि गोस्वामी ने ब्लॉकचेन के सत्यापन और टेऊसबिलिटी की जानकारी दी। फंडामेंटल ऑफ क्लाउड कम्प्यूटिंग कार्यशाला रिसोर्स पर्सन आईबीएम टेऊनर डा. सुनील कुमार अरोरा ने क्लाउड स्टोरेज की उपयोगिता के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी। सिक्यॉरिटी फंडामेंटल परिचय विषय पर आयोजित कार्यशाला में आईबीएम टेऊनर मोहसिन ने साइबर सुरक्षा के उद्देश्यों पर चर्चा की। फंडामेंटर ऑफ डाटा एनालिटिक्स विषय पर आयोजित कार्यशाला में आईबीएम टेऊनर संग्राम ने अत्याधिक मात्रा में एकत्रित किए जा रहे डेटा के रुझान और पैटर्न को समझने के लिए डेटा एनालिटिक्स को काफी महत्वपूर्ण बताया। कार्यशाला के स्पोक पर्सन प्रोहितेंद्र गर्ग तथा कॉर्डिनेअर असिस्टेंट प्रोफेसर मनीष गुप्ता, गर्वित दोहरे, एसोसिएट प्रोफेसर डा. मयंक श्रीवास्तव, डा. राहुल प्रधान रहे।