कागजों पर चल रहे मदरसों पर शिकंजा: आजमगढ़ में कागजों पर चल रहे 219 मदरसों के खिलाफ एक्शन शुरू, ईओडब्ल्यू ने दर्ज कराए कुल 11 मुकदमे…

मदरसे की जगह मिली शटर नुमा दुकानें तो कहीं धरातल से मिले गायब, एक शख्स कर रहा कई-कई मदरसों का संचालन;

Update: 2025-02-10 06:18 GMT

आजमगढ़। आजमगढ़ में मदरसा पोर्टल ऑनलाइन फीडिंग में 313 मदरसे मानक के अनुरूप नहीं मिले थे। इस मामले में जब एसआईटी ने जांच की तो 219 मदरसों का अस्तित्व में ही नहीं मिला। एसआईटी की ओर से जब इन मदरसा पोर्टल पर मदरसा प्रबंधकों की ओर से दर्ज किए गए डाटा की जांच की गई तो कहीं मौके पर मदरसे की जगह शटर नुमा दुकानें संचालित होती मिलीं तो कहीं धरातल पर मदरसा ही नहीं मिला।

कई जगहों पर मदरसों की जगह पर दूसरे विद्यालय का संचालन होता मिला। अब ईओडब्ल्यू इन फर्जी मदरसों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करा रहा है।

बता दें कि जिले में वर्ष 2009-10 में बिना भौतिक सत्यापन के कई मदरसों को मान्यता और अनुदान देने का मामला सामने आया था। 2017 में इस बात की शिकायत सरकार से की गई थी। 2017 में हुई जांच में 387 मदरसे वैध मिले, जबकि 313 मदरसे में गड़बड़ियां पाई गई थी। इसके बाद इस पूरे मामले की जांच शासन ने एसआईटी की टीम को दे दी थी।

2022 में शासन को सौंपी गई रिपोर्ट में एसआईटी ने बताया था कि 219 मदरसे ऐसे हैं जो अस्तित्व विहीन थे। इन मदरसे के संचालकों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने का शासन ने निर्देश दिया था, लेकिन अब तक इस प्रकरण में एफआईआर दर्ज नहीं हुई थी।

फर्जी मदरसों के खिलाफ एक्शन : शासन के निर्देश पर अब इन मदरसों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी शुरू हो गई है। सभी थानों में एफआईआर की कॉपी पहुंच गई है। किसी थाने को 50 कॉपी तो किसी थाने को 20 कॉपी तहरीर मुकदमा दर्ज करने के लिए भेजी गई है। इस मामले में छह फरवरी को पहला मुकदमा कंधरापुर थाने में दर्ज हुआ था। वहीं आठ फरवरी को कुल 11 मुकदमे दर्ज हुए हैं।

कंधरापुर थाने में पहला मुकदमा दर्ज : ईओडब्ल्यू के निरीक्षक कुंवर ब्रह्म प्रकाश सिंह की तहरीर पर कंधरापुर थाने में पहला मुकदमा दर्ज किया गया है। इसमें मदरसा की प्रबंधक रुमाना बानो पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया गया है।

दी गई तहरीर में ईओडब्ल्यू के निरीक्षक कुंवर ब्रह्म प्रकाश सिंह ने पुलिस को बताया कि पूर्व में एसआईटी की ओर से उपलब्ध अभिलेखों के आधार पर मदरसा अजीजिया खड़गपुर कंधरापुर अस्तित्वहीन मदरसों की श्रेणी में पाया गया। इस मदरसे को 05 फरवरी 2009 में तहतानिया स्तर की अस्थायी मान्यता दी गयी।

ये मान्यता तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी प्रभात कुमार और लिपिक वक्फ ओम प्रकाश पांडेय की ओर से दी गयी। 

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