स्वास्थ्य सम्मेलन में बोले मुख्यमंत्री, कहा - स्वास्थ्य सेवाओं को टेक्नोलॉजी से जोड़ा जाएगा

केजीएमयू और एसजीपीजीआई के साथ कनेक्ट होंगे यूपी के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र

Update: 2022-12-11 12:56 GMT

लखनऊ।  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वास्थ्य सेवाओं को टेक्नोलॉजी से जोड़ने पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) बहुत शीघ्र टेली कंसल्टेंसी और टेली मेडिसिन जैसी सुविधाओं से लैस होंगे। इसके तहत प्रदेश के 4600 से अधिक पीएचसी को राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल के साथ ही एसजीपीजीआई तथा केजीएमयू से जोड़ दिया जाएगा। इसके लिए प्रदेश के स्वास्थ्य कर्मियों को विशेष रूप से ट्रेंड भी किया जाएगा। 

मुख्यमंत्री यहां रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज डे पर आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन के अंतिम दिन रविवार को स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े देशभर के 22 राज्यों से आए स्वास्थ्य अधिकारियों और पांच राज्यों के स्वास्थ्य मंत्री और 900 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को सम्बोधित कर रहे थे। सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने कहा कि आप सब बाबा विश्वनाथ की पावन धरा पर दो दिनों से कम्युनिटी हेल्थ पर मंथन करने में जुटे हैं। काशी भगवान शिव की नगरी है और शिव का अर्थ कल्याण होता है। काशी भगवान धनवंतरी की जन्मभूमि भी है। इसके साथ ही दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ये कर्मभूमि है। काशी में स्वास्थ्य को लेकर इस प्रकार की कार्यशाला हम सबको नया संदेश देगी।

भारत ने मत-मजहब की नहीं सबके सुख और स्वास्थ्य की कामना की है 

मुख्यमंत्री ने सम्मेलन के थीम वाक्य ''टू बिल्ड द वर्ल्ड, वी वांट हेल्दी फ्यूचर फॉर ऑल'' को भारतीय भावना ''सर्वे भवंतु सुखिन :, सर्वे संतु निरामया'' के साथ जोड़ते हुए कहा कि भारत ने जाति, मत मजहब की बात नहीं की, पूरी दुनिया में सबसे सुख और आरोग्यता की कामना की। विश्व योग दिवस इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। भारत के योग के साथ दुनिया के 200 देश जुड़ चुके हैं। भारत को हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के बड़े हब के रूप में देखा जा रहा है, हमें भी इसे हाथों हाथ लेना होगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि बहुत जल्द प्रदेश के 4600 से अधिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हेल्थ एटीएम के साथ जुड़ेंगे यहां 60 प्रकार की बीमारियों की जांच की सुविधा एक ही सेंटर पर उपलब्ध होगी। इसके लिए पैरा मेडिकल स्टाफ को समुचित ट्रेनिंग भी प्रदान की जाएगी। 

सही समय पर सही निर्णय लेने से कोरोना काल में बढ़ा भारत का मान

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण बात होती है, समय पर सही निर्णय लेना। इस सदी की सबसे बड़ी महामारी के दौरान हम सबने देखा कि कैसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सही समय पर सही निर्णय लिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि तब भारत का हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर उतना मजबूत नहीं था, जितना दुनिया के कई विकसित देशों में था, लेकिन हमारे प्रधानमंत्री द्वारा समय पर आवश्यकता के अनुरूप निर्णय लेने की सामर्थ्य को दुनिया के लिए एक मॉडल बना दिया। कोरोना काल में कई देशों की सत्ता चरमरा गयी। मगर भारत में 140 करोड़ की आबादी ने प्रधानमंत्री मोदी के एक एक आदेश को मंत्र मानकर पालन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि दूसरी लहर के दौरान जब कोरोना ने विकरालता दिखाई। उससे पहले ही प्रधानमंत्री ने ''जहां बीमार, वहीं उपचार'' का मंत्र दिया। ऐसे समय में ही हमें कम्युनिटी हेल्थ अफसरों की उपयोगिता और उनकी ताकत का अहसास हुआ। यूपी में हम लोगों ने उस वक्त 72 हजार टीमें बनायी। हर टीम में 10 से 15 लोगों को रखा गया, इसमें एएनएम, आशा बहुएं, जनप्रतिनिधि और अफसर एक साथ जुड़कर अभियान के रूप में कार्य किया। इसका परिणाम ये हुआ कि भारत ने कोविड प्रबंधन का बेहतरीन मॉडल दुनिया को दिया। दुनिया के हर मंच ने इसकी सराहना की। डब्ल्यूएचओ ने इसकी सराहना की। इसके साथ ही भारत कोविड काल में दुनिया में सबसे तेज गति से उभरा है। यह सब संभव हुआ समय से सही निर्णय लेने और टीम वर्क के कारण।

स्वास्थ्य प्रणाली के चार स्तंभों का किया उल्लेख 

मुख्यमंत्री ने हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, आयुष्मान भारत हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, को स्वास्थ्य प्रणाली के चार मजबूत स्तंभ बताया। मुख्यमंत्री ने देशभर से आये स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोगों को संबोधित करते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर हर सप्ताह रविवार को आरोग्य मेले का आयोजन किया जाता है। जहां केंद्र और राज्य की स्वास्थ्य स्कीमों की जानकारी लोगों को दी जाती है। प्रदेश के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर हर हफ्ते हमारे चिकित्सक 3 से 5 लाख मरीजों को देखते हैं।

अंतर विभागीय समन्वय से समाप्ति के कगार पर पहुंचा इन्सेफलाइटिस 

मुख्यमंत्री ने इन्सेफलाइटिस जैसी जानलेवा बीमारी का उल्लेख करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के लगभग 38 जनपद में आधी सदी तक इस बीमारी ने यहां के मासूमों को असमय काल का ग्रास बनाया। 40 वर्ष में 50 हजार से ज्यादा बच्चें की मौत हुई। जापान में 1905 में इसका वैक्सीन बना दिया था। मगर भारत में इसकी वैक्सीन आने में 100 वर्ष लगे। मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश सरकार ने अंतरविभागीय समन्वय स्थापित करके इस बीमारी को 95 प्रतिशत तक काबू पा लिया है और अब सरकार इसे पूर्ण रूप से समाप्त करने की दिशा में तेजी से बढ़ रही है।

Tags:    

Similar News