लखनऊ रेलवे मंडल अस्पताल में नहीं की जा रही गर्भवती महिलाओं की भर्ती
पत्नी की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव थी। लेकिन डॉक्टर क्वीन मेरी अस्पताल भेजने पर अड़े रहे। किसी तरह मामला एआईआरएफ के राष्ट्रीय महामंत्री शिव गोपाल मिश्र तक पहुंचा। उनके कहने पर टीटीई और एक लोको पायलट की पत्नी को सम्बद्ध अस्पताल में रेफर किया जा सका।
लखनऊ: लोको पायलट अनिल कुमार की गर्भवती पत्नी की नियमित जांच मंडल रेल अस्पताल चारबाग में चल रहा था। डिलीवरी का समय नजदीक आया तो वह कोरोना संक्रमित हो गईं। गर्भवती होने पर अस्पताल ने भर्ती करने से मना कर दिया। उनको क्वीन मेरी अस्पताल भेजा गया। किसी तरह भर्ती हुईं तो कोरोना की जांच के लिए होल्डिंग एरिया में रखा गया। रिपोर्ट दो दिन बाद आई। लोको पायलट की पत्नी ने एक नवजात को जन्म दिया लेकिन वह न बच सकी। बच्चा प्री मैच्योर है। जिस कारण उसे आईसीयू में रखा गया है। अब लोको पायलट के सामने दुविधा यह है कि वह ट्रेन चलाए, या फिर नवजात बच्चे की देखभाल करे।
यह अकेली गर्भवती महिला नही है, जो मंडल रेल अस्पताल होने के बावजूद इलाज के लिए भटक रही हैं। बीती सोमवार को ही एक टीटीई की गर्भवती पत्नी मंडल अस्पताल पहुंची। यहां से टीटीई से रेलवे से सम्बद्ध एक निजी अस्पताल में रेफर करने के लिए कई अधिकारियों से संपर्क किया। पत्नी की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव थी। लेकिन डॉक्टर क्वीन मेरी अस्पताल भेजने पर अड़े रहे। किसी तरह मामला एआईआरएफ के राष्ट्रीय महामंत्री शिव गोपाल मिश्र तक पहुंचा। उनके कहने पर टीटीई और एक लोको पायलट की पत्नी को सम्बद्ध अस्पताल में रेफर किया जा सका।
दरअसल, मंडल रेल अस्पताल 250 बेड का है। यहां महिला रोग विशेषज्ञ सहित कई विभाग की ओपीडी होती है। रेलकर्मियों की गर्भवती पत्नियों की सारी जांच इसी अस्पताल में होती है। आधुनिक सुविधाओं के कारण वह अन्य अस्पतालों का कार्ड नही बनवाती हैं। जबकि अन्य स्थिति के लिए रेलवे ने कुछ निजी अस्पतालों को सम्बद्ध कर रखा है। पिछली बार कोरोना में अस्पताल प्रशासन ने 50 बेड अपने रेलकर्मियों के लिए आरक्षित कर रखा था। लेकिन इस बार सारे बेड कोविड अस्पताल में रखे गए हैं। जिस कारण अब रेलकर्मी और नॉन कोविड उनका परिवार उपचार के लिए भटक रहा है।