कोरोना काल में भी यूपी में उद्योगों का चल रहा पहिया

इस वक्त कोरोना संकट के दौरान राज्य में लाखों एमएसएमई यूनिटों में उत्पादन को रहा है। इसके अलावा 80 लाख से अधिक लोग घरों से जरूरी उत्पाद बना रहे हैं।

Update: 2021-05-03 07:54 GMT

लखनऊ: कोरोना वायरस की महामारी के फैलाव के चलते दिल्ली, मुंबई जैसे राज्यों में सूक्ष्म, लघु और मध्यम (एमएसएमई) उद्योग की हालत खराब है, वही उत्तर प्रदेश में इन उद्योगों का पहिया तेजी से चल रहा। इस वक्त कोरोना संकट के दौरान राज्य में लाखों एमएसएमई यूनिटों में उत्पादन को रहा है। इसके अलावा 80 लाख से अधिक लोग घरों से जरूरी उत्पाद बना रहे हैं।

इस प्रकार राज्य में करीब तीन करोड़ लोग विभिन्न कार्यों में लगे हैं। इनके बनाए उत्पाद बाजारों में बिक रहे हैं और उसके दाम भी इन्हें मिल रहे हैं। जिसके चलते इन उद्योगों में काम करने वाले लाखों मजदूरों की रोजी-रोटी पर कोई संकट खड़ा नहीं हुआ है और राज्य में खाने पीने के सामान की भी कहीं कोई किल्लत नहीं होने पायी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सूबे के लोगों के जीवन और जीविका दोनों की ही चिंता करने और इस संबंध में बनायी गई योजना को लागू करने के चलते ही उद्योगों में कार्य करने वाले श्रमिकों और कर्मचारियों के जीविका पर कोई संकट खड़ा नहीं हुआ है।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच यह फैसला किया कि आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति तथा उत्पादन और रोजगार की निरंतरता के लिए राज्य में औद्योगिक इकाइयां निरंतर चलती रहेंगी। रात्रिकालीन कोरोना कर्फ्यू की अवधि में भी सरकार के अगले आदेश तक किसी भी फैक्ट्री/उत्पादन इकाई में उत्पादन बंद नहीं होगा। ना ही कोई इकाई बंद होगी।

इस संबंध में यह कहा गया कि जिलाधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे के कि दवाएं, सेनेटाइजर, चिकित्सीय उपकरणों के साथ ही खाद्य पदार्थ, ब्रेड, बिस्किट, आटा, चावल, दाल, खाद्य तेल, चीनी, पीने का पानी, दुग्ध उत्पाद तथा अन्य जरूरी उत्पादों के उत्पादन पर कोई असर ना पड़े। इस फैसले का कड़ाई से पालन हो इसके लिए मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने इसके लिए विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए। इस निर्देश में यह भी कहा गया है कि जो भी कार्मिक इन एमएसमई इकाइयों में कार्यरत हैं उन्हें प्रोत्साहित करने का काम इकाई प्रबंधन के साथ ही उपायुक्त जिला उद्योग एवं श्रम तथा अन्य विभागों के अधिकारी करेंगे। इसके साथ ही इन इकाइयों में कोविड प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित जाए। वह इकाई जहां पर बड़ी संख्या में कार्मिक कार्यरत हैं वहां दूर से आने वाले कार्मिकों को सुरक्षित रहने का प्रबंध संबंधित इकाई परिसर में ही किए जाने का सुझाव भी निर्देश में दिया गया। इसमें यह भी कहा गया कि जिलाधिकारी जिले के सीएमओ के माध्यम से यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी कार्मिकों का एंटीजन टेस्ट तथा लक्षण वाले कार्मिकों की आरटी पीसीआर जांच हो जाए।

प्रदेश सरकार के इस निर्देश के अनुसार राज्य के सभी जिलों में जिलाधिकारियों ने कार्यवाही की। उद्योगों में कार्यरत लोगों को कोरोना से उनकी सुरक्षा करने का भरोसा दिलाया। फिर उन जिलों में जिनमे मेडिकल किट, दवाईयां तथा कोविड से बचाव व इलाज से संबंधित इकाइयां हैं उन पर फोकस किया गया और इन जिलों की उक्त इकाइयों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने में जुटा गया। इन जिलों में उत्पादन, आपूर्ति तथा ट्रांसपोटेशन में इकाई प्रबंधन को कोई दिक्कत न हो यह व्यवस्था सुनिश्चित की गई।

इसी क्रम में उन जिलों में जहां सैनिटाइजर बनाने के लिए एल्कोहल के लिए चीनी मिल अधिकृत हैं वहां पर इकाइयों के लाइसेंस, उत्पादन तथा आपूर्ति की निरंतरता की बाधाएं दूर की गई। सभी जिलाधिकारियों को यह सुनिश्चित करने को कहा गया कि खाद्य पदार्थ, ब्रेड, बिस्किट, आटा, चावल, दाल, खाद्य तेल, चीनी, पीने का पानी, दुग्ध उत्पाद के उत्पादों पर कोई विपरीत प्रभाव ना पड़े। इसके लिए जो भी जरूरी प्रबंध किए जाने हो वह किए जाए। इसके अलावा कोयला व खनिज पदार्थों का उत्पादन, खाद, कीटनाशक, बीज उत्पादन, कृषि संयंत्रों से संबंधित उत्पाद, डिटरजेंट एवं साबुन, साल्वेंट एक्सट्रैंक्शन, खाद्य प्रसंस्करण की इकाइयां आदि उद्योगों की क्षमता वृद्धि के आदेश भी दिए गए। एमएसएमई इकाइयों को मास्क, पीपीई किट, ग्लब्स, सैनिटाइजर, पैकेजिंग तथा कोविड से जुड़े अन्य उत्पादों को बढ़ाने में पूरा सहयोग दिया गया। ऐसी इकाइयों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने की कोशिश करने के निर्देश दिए गए हैं।

सरकार की इस व्यवस्था के चलते उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुडी महिलाओं में मास्क और पीपी किट बाने के साथ ही दालचीनी, तुलसी, मुनक्का, काली मिर्च एवं सौंठ को उचित मात्रा में मिलाकर 100 ग्राम का एक काढ़े का पैकेट तैयार कराना शुरू किए। जिसे गरम पानी में उबालकर करीब सात ग्राम का मिश्रण एक बार के काढे में प्रयोग में लाया जाता है। 14 जिलों में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुटी महिलाएं यह काढ़ा बना रहीं है और उनके बनाए काढ़े की मांग लगातार बढ़ती जा रही है।

ऐसी ही मांग खाद्य पदार्थ, ब्रेड, बिस्किट, आटा, चावल, दाल, खाद्य तेल, चीनी, पीने का पानी, दुग्ध आदि से जुटी इकाइयों के बनाए उत्पादों को लेकर भी है। सरकार के प्रवक्ता के अनुसार वर्तमान में सूबे में उद्योगों का पहिया तेजी से चल रहा है और छोटे बड़े उद्योगों में तीन करोड़ लोगो इस कोरोना काल में कार्य कर रहें है। किसी औद्योगिक इकाई को बंद नहीं किया गया है, जिसके चलते उद्योगों में कार्यरत लोगों का जीवन और जीविका चल रही है।

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