एक ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के संकल्प को साकार करेगी ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट

अगले दो साल में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रोड शो और पांच वर्षों में तीन ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी भी होगी

Update: 2022-05-13 12:15 GMT

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के संकल्प को ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट साकार करने वाली है। इसके लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी गई है और अगले दो साल में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रोड शो का आयोजन किया जाएगा। साथ ही अगले पांच वर्षों में तीन ग्राउंड ब्रेकिंग समारोह भी होंगी।

सीएम योगी ने पिछले पांच वर्षों में प्रदेश को निवेश हब बनाने के लिए नियमों में सरलीकरण करने के साथ करीब दो दर्जन नीतियों पर अमलीजामा पहनाया है। जिस कारण राष्ट्रीय ही नहीं अंतर राष्ट्रीय स्तर की कंपनियों ने भी उत्तर प्रदेश की ओर रुख किया है। उद्योग विभाग को 10 देशों सिंगापुर, यूएस, जापान, यूके, कनाडा, जर्मनी और दक्षिण कोरिया से 20,559 करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। विभाग की ओर से 36 हजार से अधिक संभावित रोजगार वाली 39 परियोजनाओं को भूमि भी आवंटित कर दिया है।

सरकार को योगी 1.0 में हुए इंवेस्टर्स समिट में 4.28 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले थे। इसमें से करीब तीन लाख करोड़ रुपए तक के प्रोजेक्ट धरातल पर उतर चुके हैं और जीबीसी थ्री में 70 हजार करोड़ रुपए से अधिक के प्रोजेक्ट धरातल पर उतरने वाले हैं। 1.70 लाख करोड़ की 802 परियोजनाएं क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। जबकि 57,186 करोड़ रुपए की 232 परियोजनाओं में व्यावसायिक उत्पादन शुरू हो चुका है। इसमें एक लाख 40 हजार लोगों को रोजगार भी मिले हैं।

उपभोक्ता राज्य से उत्पादक राज्य बनने की ओर उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश को उपभोक्ता राज्य से उत्पादक राज्य बनाने में सरकार की पहल का बड़ा असर धरातल पर दिखने लगा है। जिस कारण प्रदेश में हर क्षेत्र में निवेशकों की संख्या बढ़ी है। 47,484 करोड़ रुपए की 149 परियोजनाओं और 65,029 करोड़ रुपये की 421 परियोजनाओं में जल्द उत्पादन शुरू होने वाला है। इससे 12 लाख 30 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा।

निवेशकों से जुड़े परियोजनाओं में हीलाहवाली बर्दास्त नहीं - 

सीएम योगी निवेशकों से जुड़े बिंदुओं की स्वयं समीक्षा करते हैं। उन्होंने हाल ही में अधिकारियों को निर्देश दिया है कि निवेशकों से जुड़े परियोजनाओं में हीलाहवाली बर्दास्त नहीं की जाएगी और आईआईडीसी स्वयं सभी बिंदुओं की समीक्षा करते रहें। निवेशकों से समय से भूमि आवंटित हो और समय से उन्हें एनओसी दी जाए। इसमें लापरवाही करने वाले के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।

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