लखनऊ। बसपा प्रमुख मायावती ने केन्द्र सरकार पर हमला हमला बोला। उन्होंने केन्द्र पर किसानों के साथ भेदभाव पूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया। गुरुवार को संसद में पेश किए गए तीन बिलों पर मायावती ने केन्द्र सरकार को जमकर घेरा। उन्होंने कहा कि संसद में किसानों से जुड़े बिल गुरुवार को जो पास किए गए हैं उनसे बसपा कतई भी सहमत नहीं है। उन्होंने कहा कि पूरे देश का किसान क्या चाहता है इस ओर केन्द्र सरकार ध्यान दे तो बेहतर होगा।
आपको बता दें कि लोकसभा में गुरुवार को कृषि से जुड़े दो विधेयक पास किए गए हैं। इन दो विधयकों में एक कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल है और दूसरा मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (संरक्षण एवं सशक्तीकरण बिल) 2020 है। सरकार को इन विधेयक को लेकर लोकसभा में विरोध का भी सामना करना पड़ा है। यहां तक कि खुद में सरकार में शामिल शिरोमणि अकाली दल की नेता और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने इन विधेयकों का विरोध करते हुए इस्तीफा दे दिया।
दूसरी ओर भाजपा की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल अध्यादेश के समय से ही इसका विरोध कर रही है। गुरुवार को जब विधेयक लोकसभा में पेश किया गया तो अकाली दल के सांसद सुखबीर सिंह बादल ने विरोध करते हुए कहा कि हरसिमरत कौर बादल मंत्री पद से इस्तीफा देंगी। हरसिमरत केंद्रीय खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग मंत्री है। अकाली दल भाजपा नीत एनडीए का हिस्सा है।
क्या है विधेयक
- कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक:
उपज कहीं भी बेच सकेंगे। बेहतर दाम मिलेंगे। ऑनलाइन बिक्री होगी।
- मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता: किसानों की आय बढ़ेगी। बिचौलिए खत्म होंगे। आपूर्ति चेन तैयार होगा।
- आवश्यक वस्तु (संशोधन) : अनाज, दलहन, खाद्य तेल, आलू-प्याज अनिवार्य वस्तु नहीं रहेगी। इनका भंडारण होगा। कृषि में विदेशी निवेश आकर्षित होगा।
इस बिल का क्यों हो रहा है विरोध, जानें
-मंडियां खत्म हो गईं तो किसानों को एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलेगा। वन नेशन वन एमएसपी होना चाहिए।
-कीमतें तय करने का कोई मैकेनिज्म नहीं है। डर है कि इससे निजी कंपनियों को किसानों के शोषण का जरिया मिल जाएगा। किसान मजदूर बन जाएगा।
-कारोबारी जमाखोरी करेंगे। इससे कीमतों में अस्थिरता आएगी। खाद्य सुरक्षा खत्म हो जाएगी। इससे आवश्यक वस्तुओं की कालाबाजारी बढ़ सकती है।