लखनऊ: अस्पताल दर अस्पताल भर्ती के लिए भटक रहे मरीज
बुधवार को एक ऐसा ही मामला सामने आया, जब 60 वर्षीय बुजुर्ग मरीज को किसी अस्पताल में भर्ती नहीं लिया गया। आखिरकार वह अस्पताल के गेट पर कार में ही ऑक्सीजन सिलिंडर के सहारे जिंदगी से संघर्ष करते दिखे।
लखनऊ: राजधानी लखनऊ में कोरोना संक्रमण बढ़ने के साथ ही साथ जांच रिपोर्ट में होने वाली देरी भी मरीजों की बदहाली की सबसे बड़ी वजह है। इसके चलते कोरोना के संदिग्ध मरीज पांच-सात दिनों तक रिपोर्ट नहीं मिलने पर गंभीर हो रहे हैं। उनके ऑक्सीजन का स्तर गिर रहा है, लेकिन जब वह भर्ती के लिए जा रहे हैं तो उन्हें ना तो नॉन कोविड में कोई भर्ती लेने को तैयार है और ना ही कोविड-19 अस्पताल में भर्ती हो पा रहे हैं।
बुधवार को एक ऐसा ही मामला सामने आया, जब 60 वर्षीय बुजुर्ग मरीज को किसी अस्पताल में भर्ती नहीं लिया गया। आखिरकार वह अस्पताल के गेट पर कार में ही ऑक्सीजन सिलिंडर के सहारे जिंदगी से संघर्ष करते दिखे।
अलीगंज निवासी 60 सुशील श्रीवास्तव को करीब एक हफ्ते पहले सांस लेने में तकलीफ व खांसी बुखार के दिक्कत हुई थी। इसके बाद से ही वह आरटीपीसीआर जांच के लिए भटक रहे थे। उन्होंने 1500 रुपये देकर निजी लैब से जांच कराई। बावजूद उनकी रिपोर्ट पांच दिन गुजर जाने के बाद भी नहीं आई। इस दौरान उनकी तबीयत बिगड़ गई। ऑक्सीजन का स्तर 80 से भी नीचे चला गया। लिहाजा उनकी सांसें उखड़ने लगी। घरवाले अस्पताल लेकर भागे। मगर कोई भी अस्पताल ने उन्हें भर्ती करने को तैयार नहीं हुआ। सामान्य अस्पताल कोविड का केस बता कर भर्ती नहीं लिए।
वहीं कोविड अस्पताल कोरोना रिपोर्ट एवं सीएमओ का निर्देश नहीं होने की बात कहकर भर्ती नहीं लिए। इसके बाद घरवालों ने दर्जनों निजी अस्पतालों में भी ट्राई किया, लेकिन कहीं भर्ती नहीं हुए। आखिरकार वह स्वामी विवेकानंद पॉलीक्लिनिक में गए। वहां भी कोरोना रिपोर्ट नहीं होने से भर्ती से इनकार कर दिया। तब परिवारजन निराश होकर बाजार से ऑक्सीजन सिलिंडर खरीद कर ले आए और वहीं कार में बैठे मरीज को लगा दिया। इसके बाद वह कोरोना रिपोर्ट का इंतजार करते रहे।
अलीगंज निवासी 60 सुशील श्रीवास्तव को करीब एक हफ्ते पहले सांस लेने में तकलीफ व खांसी बुखार के दिक्कत हुई थी। इसके बाद से ही वह जांच के लिए भटक रहे थे। उन्होंने निजी लैब से जांच कराई। बावजूद उनकी रिपोर्ट पांच दिन बाद भी नहीं आई।