महाकुम्भ 2025: महाकुम्भ क्षेत्र में दो और संन्यासी अखाड़ों की धर्म ध्वजा हुई स्थापित…

Update: 2024-12-30 15:22 GMT

महाकुम्भनगर। प्रयागराज में होने जा रहे विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम महाकुम्भ-2025 में आस्था और अध्यात्म के विविध रंग निखरने लगे हैं। सनातन धर्म के शिखर संन्यासियों के दो अखाड़ों ने एक ही दिन में महाकुम्भ क्षेत्र में अपने अपने अखाड़े की धर्म ध्वजा स्थापित की। अखाड़ा क्षेत्र में अखाड़ों के संतों की मौजूदगी से दिव्य और भव्य कुम्भ की अनुभूति जीवंत हो गई।

दो और संन्यासी अखाड़ों की धर्म ध्वजा स्थापित : प्रयागराज में त्रिवेणी के तट पर आस्था की अलौकिक दुनिया आकार लेने लगी है। सीएम योगी के निर्देश पर महाकुम्भ की तैयारियों में आई तेजी से महाकुम्भ का आकर्षण अखाड़ा क्षेत्र सबसे पहले गुलज़ार होने लगा है। अखाड़ा क्षेत्र में सोमवार को दो और संन्यासी अखाड़ों ने प्रशासन द्वारा आवंटित भूमि में अपनी धर्म ध्वजा स्थापित कर दी।

पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी और उसके भ्राता अखाड़े कहे जाने वाले श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा पंचायती ने पूरे विधि विधान के साथ अपने अपने अखाड़ों के इष्ट का आवाहन कर अपनी धर्म ध्वजा महाकुम्भ क्षेत्र में फहरा दी।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़े के संत रविंद्र पुरी का कहना है कि हमारे अखाड़े की परंपरा है कि धर्म ध्वजा स्थापना में अखाड़े का कोई भी श्री महंत या बड़ा पदाधिकारी हिस्सा नहीं लेता। इसलिए नागा संन्यासियों की अगुवाई में अखाड़े की धर्म ध्वजा स्थापित हुई। अब 4 जनवरी को निरंजनी अखाड़े का छावनी प्रवेश होगा।

श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा पंचायती ने भी स्थापित की धर्म ध्वजा : परंपरा, प्रतिष्ठा और अनुशासन के मूल मंत्र को लेकर चलने वाले श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा पंचायती की धर्म ध्वजा की भी स्थापना हुई। अखाड़े के अध्यक्ष स्वामी शंकरानंद सरस्वती ने बताया कि 41 फीट के ध्वज दंड में अखाड़े के प्रमुख संतों की मौजूदगी में पूरे विधि-विधान के साथ अखाड़े की धर्म ध्वजा स्थापित कर दी गई। इसी धर्म ध्वजा के नीचे अखाड़े के इष्ट देवता को छावनी प्रवेश के बाद स्थान दिया जाएगा।

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