Covid 19 के खिलाफ जंग में योगी सरकार का नया मास्टर प्लान लागू
- लक्षण विहीन मरीजों का आइसोलेशन वार्ड की जगह अस्पताल के करीबी भवन में होगा इलाज - कम मरीज होने पर मंडलायुक्त सभी को भेज सकेंगे एक अस्पताल में - उप्र में 314 हुए कोराना संक्रमण के मामले, तब्लीगी जमात के 166 केस
लखनऊ। प्रदेश में तब्लीगी जमात के कारण कोरोना के मामलों की संख्या में इजाफे के बीच योगी सरकार ने नई कार्ययोजना को धरातल पर उतारा है। इसके तहत अवसाद, तनाव के मामलों को लेकर भी अब स्वास्थ्य विभाग की हेल्पलाइन में काउंसलिंग शुरू कर दी गई है। नई पहल से लोगों को मानसिक तनाव से निजात के लिए उचित सलाह मिल सकेगी। इसके साथ ही लक्षणविहीन मरीजों की बड़ी संख्या को देखते हुए अब उनका इलाज आइसोलेशन वार्ड की जगह अस्पताल के करीब में किसी अन्य भवन में किया जाएगा। वहीं मण्डलों में मण्डलायुक्त कोरोना संक्रमण के कम मामले होने पर सभी मरीजों का किसी एक अस्पताल में इलाज का आदेश जारी कर सकेंगे, जिससे अलग-अलग स्थानों पर लगी मानव क्षमता को बचाकर उसका सही जगह इस्तेमाल हो सके।
इस बीच अभी तक कुल मामलों में से पचास प्रतिशत से ज्यादा जमात से सम्बन्धित है। राज्य में मंगलवार दोपहर तक कोराना संक्रमित मरीजों की संख्या 314 पहुंच गई, जिसमें से 166 मामले जमात से ताल्लुक रखते हैं। इससे पहले सोमवार को कुल मामले 305 थे, जिसमें जमात के संक्रमित लोगों की संख्या 159 थी। हर दिन सैम्पल रिपोर्ट आने के बाद इसमें इजाफा होता जा रहा है। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने मंगलवार को बताया कि अब तक जमात के 1551 लोगों को चिह्नित किया जा चुका है। इनमें से 1257 का परीक्षण कर क्वारंटाइन किया गया है। इनमें मेरठ में 232, बरेली में 227, कानपुर नगर में 106, वाराणसी में 213, लखनऊ में 92, आगरा में 131, प्रयागराज में 17, गोरखपुर में 213, लखनऊ कमिश्नरी में 24 और गौतमबुद्धनगर में 26 मामले हैं। उन्होंने जमात को लेकर कहा कि एक बार फिर अनुरोध है कि अगर कोई व्यक्ति कहीं छूट गया है, तो वह स्वयं सामने आये या जिस स्तर पर भी लोगों को जानकारी है तो वह पुलिस थाने, कन्ट्रोल रूम या सरकार को इससे अवगत कराये, जिससे उसे क्वारंटाइन किया जा सके।
प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि कोरोना वायरस अब तक 37 जनपदों में फैल चुका है। अभी तक 6073 जांच नमूने लैब में भेजे गए, जिनमें से 5595 की रिपोर्ट निगेटिव आई है।
उन्होंने बताया कि मंगलवार से एक नई पहल करते हुए स्वास्थ्य विभाग की हेल्पलाइन 18001805145 में अवसाद, तनाव को लेकर भी काउंसलिंग शुरू कर दी गई है। कोई भी व्यक्ति अगर किसी भी वजह से मौजूदा समय में अवसाद ग्रस्त है या उसे तनाव महसूस होता है, तो वह इस हेल्पलाइन पर कॉल कर सकता है। हमने 100 काउंसलर को मिलाकर एक समूह बनाया है। इस सम्बन्ध में कॉल आने पर उसे किसी काउंसलर से लिंक कर दिया जाएगा, जिनसे सलाह मिलने पर उसे लाभ मिल सकेगा।
उन्होंने कोरोना संक्रमित मरीजों की केस हिस्ट्री को लेकर कहा कि लगभग 75 प्रतिशत मामलों में लोगों में बीमारी का लक्षण नहीं मिला था, लेकिन जब जांच नूमने लिए गए तो वह कोरोना संक्रमित पाये गये। बीमारी के इलाज के लिए हमने 10000 आइसोलेशन बेड की जो व्यवस्था की है, उसको लेकर अब हमने नई रणनीति बनायी है। इसके तहत हम अस्पताल के पास ही किसी लॉज, होटल या हॉस्टल आदि बिल्डिंग को किराये पर इलाज के लिए लेंगे। यहां हमारी टीम मुस्तैद रहेगी। यहां हम लक्षण विहीन मरीजों का उपचार करेंगे। इससे अस्पताल के बेड गम्भीर मरीजों के मामले आने पर उनके लिए इस्तेमाल हो सकेंगे। इस तरह हमें 10000 बेड और उपलब्ध हो जाएंगे।
प्रदेश में कोरोना वायरस के इलाज को त्रिस्तरीय व्यवस्था के तहत लेवल-1, लेवल-2, लेवल-3 के अस्पताल बनाये गये हैं। उन्होंने कहा कि इसमें हर जनपद में किसी सीएचसी को लेवल-1 का कोविड डेडिकेटेड हास्प्टिल बनाया गया है। इसी तरह लेवल-2 में 06 डेडिकेटेड हास्प्टिल और 45 मेडिकल कॉलेज को मिलाकर 51 अस्पताल और लेवल-3 में गम्भीर मरीजों के लिए 06 अस्पताल हैं। इस व्यवस्था में कहीं पूरे अस्पताल में एक मरीज होने या पांच जिलों में ही उदाहरण के तौर पर दो-तीन मरीज होने की स्थिति में अब मंडलायुक्तों को अधिकार दिया गया है कि वह सभी मरीजों को किसी एक अस्पताल में शिफ्ट कर सकेंगे। इससे जहां अस्पतालों पर लोड कम होगा, वहीं बाकी स्टॉफ भी अधिक सुरक्षित रह सकेगा। जरूरत पड़ने पर उस टीम को अन्य जगह लगाया जा सकेगा।