ज्ञानवापी केस में अखिलेश यादव-असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ निगरानी याचिका दाखिल, 7 जुलाई को होगी सुनवाई

प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ताओं ने दाखिल किया वकालतनामा,निचली अदालत के आदेश के खिलाफ दाखिल है पुनरीक्षण याचिका

Update: 2023-06-17 12:24 GMT

वाराणसी/वेबडेस्क। ज्ञानवापी परिसर स्थित वजूखाने में गंदगी करने,मिले शिवलिंग नुमा आकृति पर विवादित बयान देने के मामले में दाखिल की गई निगरानी याचिका पर अब सुनवाई सात जुलाई को होगी।अपर जिला जज नवम विनोद कुमार सिंह की अदालत में शनिवार को प्रतिवादी पक्ष प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की तरफ से अधिवक्ता अनुज यादव, अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी व अन्य की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीनाथ त्रिपाठी ने वकालतनामा दाखिल किया। वकालतनामा दाखिल करने के बाद अधिवक्ताओं ने आपत्ति के लिए दाखिल निगरानी याचिका की प्रति भी मांगी। इसके बाद न्यायालय ने सुनवाई की अगली तिथि सात जुलाई तय की है।

निगरानी याचिका अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय ने निचली अदालत के आदेश के खिलाफ दाखिल किया है। ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग नुमा आकृति को लेकर एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी और सपा मुखिया अखिलेश यादव सहित अन्य नेताओं ने विवादित बयानबाजी की थी। इसको लेकर हरिशंकर पांडेय ने याचिका दाखिल की थी कि शिवलिंग को लेकर एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव सहित कुछ अन्य नेताओं ने गलत बयानबाजी की थी। इससे हिंदुओं की भावनाएं आहत हुई थीं।

वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय ने बयान को हेट स्पीच की श्रेणी में मानते हुए एसीजेएम पंचम (एमपी-एमएलए) की अदालत में प्रार्थना पत्र दाखिल किया था। अधिवक्ता ने प्रार्थना पत्र के जरिए आरोप लगाया था कि दोनों नेताओं ने अमर्यादित एवं गैर कानूनी बयान देकर हिंदू समाज के प्रति घृणा फैलाने का आपराधिक कृत्य किया है। अदालत ने 14 फरवरी 2023 को अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय के प्रार्थना पत्र को निरस्त कर दिया था। इसके बाद पांडेय ने इस आदेश के खिलाफ जिला जज की अदालत में पुनरीक्षण याचिका दाखिल की थी। इस याचिका की अपर जिला जज (नवम) की अदालत में सुनवाई चल रही है। अदालत के निर्णय पर लोगों की निगाहें टिकी हुई है।

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