जयपुर की हर सीट पर अलग समीकरण, प्रत्याशियों को परम्परागत वोट का ही सहारा
कई सीटों पर तो भितरघात का भी डर बना हुआ है।
जयपुर। मतदान में भले ही तीन दिन शेष हैं, लेकिन अब तक राजधानी की एक भी सीट ऐसी नहीं है कि जिस पर प्रमुख दल जीत के प्रति आश्वस्त हों। कहीं नए प्रत्याशी के उतारे जाने से समीकरण मुफीद नहीं बैठ रहे, तो कहीं निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत का गणित ही बिगाड़ दिया। कई सीटों पर तो भितरघात का भी डर बना हुआ है। यही वजह है कि राजधानी की हर सीट पर दिलचस्प मुकाबला है। ऐसे में पार्टी प्रत्याशियों को परम्परागत वोट से ही सहारा है। मतदाताओं को रिझाने के लिए बड़े नेताओं को बुलाया जा रहा है। इसके अलावा विभिन्न समाजों के नेताओं को लाकर माहौल बनाने की कोशिश हो रही है।
हर सीट पर अलग समीकरण
विद्याधर नगर :
दिया कुमारी को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया। कांग्रेस ने पिछला चुनाव लड़े सीताराम अग्रवाल पर फिर भरोसा जताया। भाजपा के परम्परागत वोट बैंक माने जाने वाले वैश्य-ब्राह्मण में सीताराम सेंध लगाने में लगे हैं।
झोटवाड़ा:
भाजपा ने सांसद राज्यवर्धन सिंह पर भरोसा जताया, तो कांग्रेस ने ऐनवक्त पर अभिषेक चौधरी को उतारा। उनके लिए नया और बड़ा क्षेत्र है, लेकिन भाजपा से पूर्व मंत्री राजपाल सिंह और आसु सिंह सूरपुरा बागी हुए। राजपाल तो मान गए, लेकिन आसु सिंह चुनावी मैदान में हैं। ग्रामीण क्षेत्र में वे भाजपा-कांग्रेस दोनों को ही नुकसान पहुंचा रहे हैं।
सांगानेर:
भाजपा के लिए सेफ मानी जाने वाली सीट पर कांग्रेस जीत का दम भर रही है। ब्राह्मण बाहुल्य मतदाता वाली सीट पर सिंधी समाज और जाट भी निर्णायक भूमिका में हैं। भाजपा के भजनलाल और कांग्रेस के पुष्पेन्द्र के बीच मुकाबला बेहद करीब चल रहा है। आरएलपी यहां वोट काटने के लिए तैयार है।
मालवीय नगर:
पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अर्चना शर्मा की करीबी हार हुई थी। वे तीसरी बार चुनावी मैदान में हैं। वहीं, भाजपा प्रत्याशी कालीचरण सराफ पिछले पांच वर्ष से क्षेत्र में सक्रिय रहे। छोटे-छोटे कार्यक्रमों में गए। परम्परागत वोट और पांच वर्ष में कराए गए विकास कार्यों के सहारे दोनों ही जीत के प्रति आश्वस्त हैं।
बगरू:
एक बार फिर कांग्रेस प्रत्याशी गंगा देवी और भाजपा के कैलाश वर्मा में सीधा मुकाबला है। सीट पर शहरी मतदाताओं की भूमिका निर्णायक मानी जा रही है। भाजपा सामान्य और ओबीसी वर्ग के सहारे है। वहीं, कांग्रेस इस सीट पर एससी और मुस्लिम वोट को जीत का आधार मान रही है।
आमेर: भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और कांग्रेस के प्रशांत शर्मा के बीच सीधा मुकाबला नजर आ रहा है। लेकिन, भाजपा के बागी राजकुमार बागड़ा और ओमप्रकाश सैनी ने चुनाव को रोचक बना दिया है। वहीं, पूर्व विधायक गंगासहाय शर्मा की चुप्पी से भी कांग्रेस खेमे में बेचैनी है।
हवामहल: दोनों ही दलों ने नए प्रत्याशियों पर दांव खेला है। कांग्रेस प्रत्याशी आरआर तिवाड़ी की पहचान कार्यकर्ता के रूप में है। उन्हें मुस्लिम के साथ ब्राह्मण मतदाताओं से जीत की उम्मीद है। वहीं, भाजपा प्रत्याशी बालमुकुंदाचार्य को ध्रुवीकरण से जीत की आस है।
सिविल लाइंस: भाजपा के उम्मीदवार गोपाल शर्मा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहारे जीत की तलाश में हैं। हालांकि, अन्य दावेदारों के कम सक्रिय होना क्षेत्र में चर्चा का विषय है। वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी प्रताप सिंह परम्परागत वोट और पांच साल में कराए गए विकास कार्यों के चलते जीत का दावा कर रहे हैं।
किशनपोल: इस बार इस सीट से आठ उम्मीदवार मैदान में हैं। कांग्रेस प्रत्याशी अमीन कागजी अपने कोर वोट के अलावा अन्य समाज में भी पैठ रखते हैं। पांच साल में विकास कार्य भी करवाए हैं। इस वजह से वे जीत के प्रति आश्वस्त हैं। वहीं, चंद्रमोहन बटवाड़ा को जिन हालातों में पार्टी ने उतारा, उससे खेमाबंदी शुरू हो गई है। हालांकि, संघ के भरोसे वे भी क्षेत्र में दम भर रहे हैं।
आदर्श नगर:
भाजपा इस सीट पर वापस काबिज होना चाहती है। संघ की सक्रियता लगातार बढ़ रही है। भाजपा प्रत्याशी रवि नैयर हिन्दुत्व के मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, कोर वोट बैंक के सहारे कांग्रेस उम्मीदवार रफीक खान विकास के नाम पर जीत की तलाश में है।