रायगढ़ यौन उत्पीड़न केस: पीड़िता को शारीरिक चोट दिखाना जरूरी नहीं, आरोपी को 20 साल कठोर कारावास की सजा
Raigarh Sexual Harassment Case : बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में एक नौ वर्षीय बालिका के यौन उत्पीड़न के मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी ठहराए गए आरोपित को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, इस सजा को चुनौती देते हुए आरोपित ने उच्च न्यायालय में अपील की थी, जिस पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की।
20 साल कठोर कारावास
हाई कोर्ट ने आरोपित की अपील को खारिज करते हुए, पॉक्सो एक्ट के तहत विशेष कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को बरकरार रखा। हालांकि, अदालत ने आजीवन कारावास की सजा को 20 साल कठोर कारावास में बदल दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि पॉक्सो एक्ट के तहत यौन उत्पीड़न को साबित करने के लिए पीड़िता के शरीर पर शारीरिक चोटें दिखाना अनिवार्य नहीं हैं।
ये है पूरा मामला
यह घटना 1 मई 2020 की है, जब रायगढ़ जिले के एक गांव में नौ वर्षीय लड़की स्कूल के पास खेल रही थी। आरोपी, जो पुलिस की खाकी वर्दी में था, ने लड़की को पुलिसकर्मी होने का दावा करते हुए मोटरसाइकिल पर जबरन अगवा कर लिया और उसे एक सुनसान खेत में ले जाकर यौन उत्पीड़न किया। बाद में, पुलिस ने पीड़िता को रोते हुए युवक के साथ देखा और उसे बचाया।
पीड़िता के पिता की शिकायत पर पुलिस ने मामले की जांच की और आरोपी को गिरफ्तार किया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश घरघोड़ा ने आरोपी को दोषी ठहराते हुए उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।