कश्मीर घाटी में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद वहां एक नए आतंकी संगठन ने दी दस्तक
नई दिल्ली। पिछले साल जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद वहां एक नए आतंकी संगठन ने दस्तक दी है। पाकिस्तान की मदद से बने इस आतंकी संगठन का नाम 'द रेसिस्टेंस फ्रंट' है। सोशल मीडिया पर इस ग्रुप की काफी गतिविधियां रही हैं। यह जानकारी हमारे अंग्रेजी अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स को एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी।
अधिकारी ने बताया कि पिछले दो दशकों में पाकिस्तान लगातार कश्मीर में आतंकी संगठनों को शुरू करने की कोशिश करता रहा है। यह पाकिस्तान की जम्मू कश्मीर में आतंकवाद का समर्थन देने और बढ़ावा देने का तरीका है।
उन्होंने कहा, 'जम्मू कश्मीर में उत्पन्न हुई नई परिस्थिति को लेकर हम नजर बनाए हुए हैं। हम सोशल मीडिया और जमीनी तौर पर भी लगातार नजर रख रहे हैं। घाटी में इस आतंकी संगठन के बारे में पता करने वाले सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि इस संगठन को पाकिस्तान में स्थित आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा का समर्थन हासिल है।
अधिकारियों को इस आतंकी संगठन के बारे में सबसे पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स-ट्विटर और टेलीग्राम के जरिए से पता चला। उन्होंने कहा, 'शुरुआती समय में यह पाकिस्तान से संचालित कई हैंडल में से एक था, जोकि कश्मीर पर केंद्रित था और सेना को बुरा-भला कहा जाता था। वहीं, घाटी की गलत जमीनी हकीकत भी बताई जाती थी। इसके अलावा आतंकियों की तस्वीरें पोस्ट करके उन्हें 'शहीद' बताया जाता था।'
अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद 12 अक्टूबर को श्रीनगर के हरि सिंह हाई स्ट्रीट पर एक ग्रेनेड फेंका गया, जिसकी जिम्मेदारी टीआरएफ (आतंकी संगठन) ने ली। इसके बाद एक युवक की हत्या की भी जिम्मेदारी इसी संगठन ने ली। अधिकारी ने कहा कि आईपी एड्रेस के जरिए सोशल मीडिया अकाउंट की जितनी जानकारी मिली है, उसके हिसाब से यह अकाउंट इस्लामाबाद से आईफोन के जरिए संचालित किया जाता है।
कुपवाड़ा के उत्तरी कश्मीर सीमा पर 23 मार्च को पुलिस ने छह लोगों को पकड़ा। ये सभी लोग टीआरएफ से जुड़े हुए बताए जा रहे हैं। कश्मीर के आईजी विजय कुमार ने बताया कि 89 हैंड ग्रेनेड्स के अलावा, आठ एके राइफ्ल्स, 10 पिस्टल, 20 डेटोनेटर्स को बरामद किया गया।
वहीं, लश्कर-ए-तैयबा के साथ टीआरएफ के संबंध की पुष्टि इस महीने की शुरुआत में हुई थी जब पाकिस्तान से संचालित टीआरएफ आतंकी संगठन के सोशल मीडिया चैनलों ने कुपवाड़ा के केरन सेक्टर में सेना के विशेष बलों के साथ केरन गोलाबारी में मारे गए आतंकवादियों की तस्वीरों को पोस्ट किया था। पांच आतंकवादी को मार गिराया गया था और वहीं, इतने ही जवान भी शहीद हुए थे। इसके बाद दावा किया गया कि सीमा पर मारे गए पांचों आतंकवादी टीआरएफ के ही थे। जिस रूट से आतंकी घुसपैठ की कोशिश कर रहे थे, उसका इस्तेमाल लश्कर-ए-तैयबा करता रहा है।