नई दिल्ली। संसद के उच्च सदन में नेता प्रतिपक्ष गुलामनबी आजाद ने बुधवार शाम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने राज्यसभा में कृषि विधेयकों के अलोकतांत्रिक तरीके से पारित किए जाने तथा विपक्ष के आठ सांसदों के निलंबन मामले की जानकारी दी। साथ ही तमाम विपक्षी पार्टी की ओर से कोविंद से आग्रह किया कि वे विपक्षी दलों की बातों को सुने बिना पारित कृषि विधेयक पर हस्ताक्षर ना करें।
कांग्रेस सांसद ने कहा कि सरकार को कृषि संबंधी विधेयक को लाने से पहले सभी दलों और किसान नेताओं के साथ विचार-विमर्श करना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इसीलिए इस विधेयक को वापस लिए जाने की मांग विपक्ष की ओर से हो रही है। उन्होंने राष्ट्रपति को बताया कि करीब 18 राजनीतिक दलों के नेताओं ने एकमत होकर आपके समक्ष यह मुद्दा उठाने और इस कृषि विधेयक पर हस्ताक्षर ना करने का आग्रह करने की निर्णय लिया है। आजाद ने कहा कि सरकार को ऐसा कानून लाना चाहिए थे जिससे किसान खुश होते। लेकिन सरकार न तो बेहतर बिल ला सकी और न ही इसे प्रवर समिति के पास भेजा। उन्होंने कहा कि सदन में हंगामे के लिए विपक्ष जिम्मेदार नहीं बल्कि सरकार जिम्मेदार है। अगर सही तरीके से प्रक्रिया चलती तो कोई समस्या नहीं होती।
राष्ट्रपति से मिलने के बाद कांग्रेस नेता ने कहा, "हमने ज्ञापन में कहा है कि यह बिल सही तरीके से पास नहीं हुआ है, इसलिए असंवैधानिक है। राष्ट्रपति से बिल को वापस भेजने मांग की गई है ताकि इस पर सदन में चर्चा हो, इसमें संशोधन किये जाएं, दोबारा वोटिंग हो और उसके बाद ही इसे स्वीकृति दी जाए।"
इससे पहले, राज्यसभा में अमर्यादित आचरण को लेकर आठ सांसदों का निलंबन वापस लिए जाने तथा कृषि विधेयक की वापसी की मांग को लेकर आज भी विपक्ष ने राज्यसभा की कार्यवाही का बहिष्कार किया। इसके बाद सभी विपक्षी दलों के नेता कांग्रेस सांसद गुलामनबी आजाद के कमरे में आगे की रणनीति पर चर्चा की। जिसमें तय हुआ कि विपक्षी सांसदों के प्रतिनिधिमंडल के बजाय राज्यसभा में नेता प्रतिक्ष गुलामनबी आजाद विपक्ष की आवाज बनकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करेंगे और उनसे कृषि विधयेक पर हस्ताक्षर नहीं करने का आग्रह करेंगे।