संसदीय समिति की ट्विटर को फटकार, कहा - आपकी नीति नहीं, भारत का कानून सर्वोपरि

Update: 2021-06-18 14:32 GMT

नईदिल्ली।  संसद की सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़ी स्थायी समिति ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर को दो टूक शब्दों में कहा कि उसे भारत के कानून एवं नियमों का पालन करना पड़ेगा।स्थायी समिति ने ट्विटर के अधिकारियों के इस बयान पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की कि वह अपनी कंपनी के नियमों और नीतियों का पालन करेगा। ट्विटर से कहा गया है कि भारत में काम करने के लिए उसे भारतीय नियमों और कानूनों का पालन करना होगा।

केन्द्र सरकार और ट्विटर के बीच जारी विवाद के संबंध में स्थायी समिति की बैठक आयोजित हुई। इसमें ट्विटर का प्रतिनिधि भी मौजूद था। समिति की कार्यवाही की जानकारी रखने वाले सूत्रों के अनुसार ट्विटर अधिकारी को स्पष्ट शब्दों में बताया गया कि भारत की भूमि पर यहां का कानून सर्वोपरि है। ट्विटर यदि नियमों और कानूनों का उल्लंघन करता है तो उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। बैठक में ट्विटर के सार्वजनिक नीति संबंधी प्रबंधक शगुफ्ता कामरान और कंपनी की वकील आयुषी कपूर ने अपना पक्ष रखा।

भारत का कानून सर्वोपरी -

स्थायी समिति के सदस्यों ने ट्विटर प्रतिनिधि से कड़े लहजे में सवाल पूछे जिस पर ट्विटर के प्रतिनिधियों ने गोल-मोल जवाब दिया। सदस्यों ने ट्विटर के इस कथन पर भी आपत्ति व्यक्त की कि वह कंपनी के नियमों और भारत के कानून को एक तराजू पर तोल रहा है।सदस्यों ने कहा, "आपकी नीति नहीं बल्कि भारत का कानून यहां सर्वोपरी है।" समिति के सदस्यों ने इस बात का उल्लेख किया कि ट्विटर पर नियमों का पालन न किए जाने को लेकर आयरलैंड में जुर्माना किया गया था।

मिलकर काम करने के लिए सहमत - 

ट्विटर प्रतिनिधि ने कहा कि वह नियमों का पालन कर रहा है तथा उसकी ओर से अंतरिम मुख्य अनुपालन अधिकारी नियुक्त किया गया है।बाद में ट्विटर ने एक वक्तव्य में कहा कि वह स्थायी समिति के सामने अपना पक्ष रखने के लिए बुलाए जाने का स्वागत करता है। ट्विटर पारदर्शिता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और निजता के सिद्धांतों पर आधारित अपनी नीति और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए स्थायी समिति के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है।

ये है मामला - 

उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार ने सूचना-प्रौद्योगिकी नियमों के अंतर्गत ट्विटर को निश्चित अधिकारी नियुक्त करने के लिए 26 मई तक का अंतिम समय दिया था। ट्विटर ने अनुपालन अधिकारी की नियुक्ति के संबंध में आना-कानी का रवैया अपनाया था, जिसके बाद कंपनी का मध्यस्थ संवाद प्लेटफार्म संबंधी सुरक्षा कवज समाप्त हो गया था।

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