नई दिल्ली। भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) समेत अन्य प्रमुख सेवाओं के लिए संघ लोक सेवा आयोग नई दिल्ली की तरफ से कराई जाने वाली परीक्षा की तैयारियों में जुटे विद्यार्थी इन दिनों खासे परेशान हैं। इसकी प्रारंभिक परीक्षा आगामी चार अक्टूबर को होनी है, जिसमें शामिल होने के लिए कोविड-19 की टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव होने की शर्त लगा दी गई है।
परीक्षा में बड़ी संख्या में यूपी के विद्यार्थी भी हिस्सा लेते हैं। विद्यार्थियों का कहना है कि परीक्षा में बैठने के लिए कोविड-19 की जांच के लिए सरकार की तरफ से नामित अस्पतालों में जांच कराने को कहा गया है। जाहिर है कि जिस परीक्षार्थी की कोविड-19 की टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आ जाएगी, वह परीक्षा से वंचित हो जाएगा।
पहले यह परीक्षा 31 मई 2020 को होनी थी लेकिन कोरोना संकट के कारण इसे टाल दिया गया था। विद्यार्थियों का यह भी कहना है कि अभी अस्पतालों में कोरोना के मरीजों की ही जांच नहीं हो पा रही है। इतनी बड़ी संख्या में विद्यार्थियों की जांच कैसे हो पाएगी? फिर यदि सरकार से अधिकृत निजी अस्पतालों या पैथालॉजी में जांच करानी पड़ी तो हर विद्यार्थी को इसके लिए 2500 रुपये भुगतान करना पड़ेगा। परीक्षा की तैयारी करने वाले ज्यादातर विद्यार्थी ऐसे परिवारों से होते हैं कि उनके लिए यह रकम खर्च कर पाना कठिन हो जाएगा।
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग प्रयागराज की तरफ खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) पद के लिए कराई जाने वाली परीक्षा को लेकर भी अभ्यर्थी डरे हुए हैं। यह परीक्षा 16 अगस्त को प्रस्तावित है। परीक्षा के लिए प्रदेश के 15 जिलों में परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं, जबकि परीक्षार्थियों की संख्या पांच लाख के आसपास है। ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो पाना मुश्किल हो जाएगा। अभी नौ अगस्त को हुई बीएड प्रवेश परीक्षा में 4.31 लाख परीक्षार्थियों के लिए सभी 73 जिलों में परीक्षा केंद्र बनाए गए थे, तब भी सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान नहीं रखा जा सका था।