CGMSC Scam: EOW ने पांच अधिकारियों को किया गिरफ्तार, विशेष अदालत में आज हो सकती है पेशी

Update: 2025-03-22 06:49 GMT

EOW Arrested Five Officers in CGMSC Scam : रायपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कारपोरेशन (CGMSC) में करोड़ों के रीएजेंट खरीदी घोटाले में ईओडब्लू ने पांच अधिकारियों को गिरफ्तार किया है। जानकारी के अनुसार, किए गए अधिकारियों में CGMSC के दो जीएम, हेल्थ विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. अनिल परसाई भी शामिल हैं। बता दें कि, मामले में रीएजेंट सप्लायर मोक्षित कार्पोरेशन के डायरेक्टर शाशांक चोपड़ा को ईओडब्लू पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईओडब्लू ने देर रात वसंत कौशिक, डॉ. अनिल परसाई, शिरौंद्र रावटिया, कमलकांत पाटनवार और दीपक बांधे को गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि, दो IAS समेत CGMSC और हेल्थ विभाग केअधिकारियों से पूछताछ के बाद यह गिरफ्तारियां की गई हैं। कुछ ही देर में इन्हें EOW की विशेष कोर्ट में पेश किए जाने की संभावना है। 

ऑडिट रिपोर्ट में पकड़ाई गड़बड़ी

कांग्रेस शासन काल में स्वास्थ्य विभाग के सीजीएमएससी ने मोक्षित कॉरपोरेशन के माध्यम से गड़बड़ी की। दो साल की ऑडिट ऑब्जर्वेशन रिपोर्ट में सामने आया था। ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक करोड़ों की गड़बड़ी की गई है। मिली जानकारी के अनुसार इस पूरे मामले को लेकर 660 करोड़ रुपए के गोलमाल को लेकर भारतीय लेखा एवं लेखा परीक्षा विभाग के प्रिंसिपल अकाउंटेंट जनरल (ऑडिट) आईएएस यशवंत कुमार ने एडिशनल चीफ सेक्रेटरी मनोज कुमार पिंगआ को पत्र लिखा था।

ये हुए खुलासे

1. सीजीएमएससी ने बिना बजट आवंटन के 660 करोड़ रुपये की खरीदी की।

2. आवश्यकता से अधिक केमिकल और उपकरण खरीद कर नियम-कानूनों को ताक पर रखकर ऐसे अस्पतालों में सप्लाई की गई, जहां इनकी कोई आवश्यकता नहीं थी।

3. 776 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को सप्लाई की गई जिनमें से 350 से अधिक केंद्रों में न तो तकनीकी सुविधा थी और न ही भंडारण व्यवस्था। इसके आलावा स्वास्थ्य विभागने उपकरणों और रीएजेंट की मांग पत्र बिना बेसलाइन सर्वेक्षण और अंतर विश्लेषण के जारी किए।

बता दें कि, सीजीएमएससी द्वारा की गई खरीदारी में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं का जांच में पर्दाफाश हुआ है, जिनसे राज्य सरकार के खजाने को भारी नुकसान हुआ है। सीजीएमएससी ने बिना बजट आवंटन के स्वास्थ्य विभाग के लिए 660 करोड़ रुपये की दवाइयां और उपकरण खरीदी थीं। इनमें से अधिकांश उत्पाद जरूरत से ज्यादा थे और कई अस्पतालों में इनका उपयोग नहीं किया गया।

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