MP News: पटौदी परिवार की 15 हजार करोड़ की संपत्ति पर सरकार का हक, शत्रु संपत्ति कानून का असर
Stay on Pataudi Family Property Lifted : मध्य प्रदेश। भोपाल में नवाब मंसूर अली खां पटौदी और उनके परिवार की करीब 15,000 करोड़ रुपये की संपत्ति अब सरकार के कब्जे में जा सकती है। 2015 से भोपाल रियासत की ऐतिहासिक संपत्तियों पर चला आ रहा स्टे (stay) अब खत्म हो गया है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (Jabalpur) ने शत्रु संपत्ति मामले में अपीलीय प्राधिकरण के पास अपना पक्ष रखने का आदेश दिया था। कोर्ट ने मामले को समाप्त कर दिया और अब परिवार के पास डिविजन बेंच में इस फैसले को चुनौती देने का विकल्प बचा है।
इसके साथ ही स्टे हटने के बाद सरकार अब नवाब परिसर की संपत्तियों को शत्रु संपत्ति अधिनियम (Enemy Property Act) के तहत अपने कब्जे में लेने की प्रक्रिया शुरू कर सकती है। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह का कहना है कि पिछले 72 सालों में जिन लोगों के नाम शत्रु संपत्ति आ गई है, उनकी जांच की जाएगी।
शत्रु संपत्ति कानून क्या है?
1968 में शत्रु संपत्ति कानून बनाया गया था, जो विभाजन के बाद पाकिस्तान जाने वाले लोगों द्वारा छोड़ी गई संपत्तियों पर केंद्र सरकार का हक स्थापित करता है। इसमें उन संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित किया जाता है, जिनके मालिक पाकिस्तान में बस गए हैं या पाकिस्तान से संबंध रखते हैं।
नवाब मंसूर अली खां पटौदी की संपत्ति
नवाब परिवार की 15,000 करोड़ रुपये की संपत्ति कई अहम स्थानों पर फैली हुई है। इनमें पटौदी पैलेस (Pataudi Palace) हरियाणा के गुरुग्राम में स्थित है, जबकि भोपाल में नूर-उस-सबाह, फ्लैग स्टाफ हाउस, दार-उस-सलाम, और अहमदाबाद पैलेस जैसी कई ऐतिहासिक संपत्तियां शामिल हैं।
साल 2015 में केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि नवाब हमीदुल्लाह खान की संपत्ति उनकी बड़ी बेटी आबिदा सुलतान के नाम पर है, जो पाकिस्तान चली गई थीं, इसलिए यह संपत्ति शत्रु संपत्ति कानून के तहत आती है। हालांकि नवाब की दूसरी बेटी साजिदा सुलतान के वंशज इस संपत्ति पर दावा कर रहे हैं, जिसमें सैफ अली खान (Saif Ali Khan) और शर्मिला टैगोर (Sharmila Tagore) जैसे नाम शामिल हैं।
भोपाल में कितनी शत्रु संपत्ति ?
2013 में भोपाल में शत्रु संपत्तियों की संख्या 24 बताई गई थी, लेकिन 2015 तक यह संख्या घटकर 16 रह गई। 2016 की रिपोर्ट के अनुसार, भोपाल में केवल नानी की हवेली ही आबिदा सुलतान के नाम पर दर्ज थी। अन्य संपत्तियों का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला था। प्रशासन का कहना है कि इन संपत्तियों में कोई भी शत्रु संपत्ति नहीं है, क्योंकि इनमें से कोई भी आबिदा सुलतान के नाम पर दर्ज नहीं थी।
हाई कोर्ट के आदेश के बाद अब इन संपत्तियों पर बने अवैध मकान और कब्जे को हटाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। यह काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि इन संपत्तियों में से 80% पहले ही बेची जा चुकी हैं और इन पर करीब 1.5 लाख लोग रह रहे हैं।