अब दवा खाए बिना ही डायबिटीज को कर सकते हैं कंट्रोल, जानें

Update: 2020-11-09 13:35 GMT

नई दिल्ली। ब्लड शुगर के बढ़ते स्तर से परेशान हैं। परहेज से लेकर एक्सरसाइज तक सब आजमा लिया पर कुछ खास फायदा नहीं हो रहा। हालांकि, खून में ग्लूकोज की मात्रा घटाने के लिए दवाओं का सहारा भी नहीं लेना चाहते। अगर हां तो तीन से चार महीने लो-कैलोरी डाइट आजमाकर देखें। शनिवार रात संपन्न 'वर्चुअल ओबेसिटी वीक सम्मलेन' में पेश एक अमेरिकी अध्ययन में यह सलाह दी गई है।

शोधकर्ताओं के मुताबिक कैलोरी में कटौती इंसुलिन की कार्य क्षमता बढ़ाती है। अग्नाशय पर ज्यादा मात्रा में ग्लूकोज को ऊर्जा में तब्दील करने वाले इस हार्मोन के उत्पादन का दबाव न होना इसकी मुख्य वजह है। पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी से जुड़े शोधकर्ता ईवान केलर ने दावा किया कि टाइप-2 डायबिटीज से जूझ रहे मरीजों का लगातार तीन से चार महीने तक अपनी दैनिक डाइट को 600 से 800 कैलोरी के बीच सीमित करना खासा फायदेमंद साबित हो सकता है। इससे वे उस स्थिति में पहुंच सकते हैं, जहां ब्लड शुगर का स्तर काबू में रखने के लिए दवाएं खाने की जरूरत न पड़े।

केलर और उनके साथियों ने वजन घटाने से जुड़े पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी के अभियान में शामिल 88 डायबिटीज रोगियों में कैलोरी में कटौती से ब्लड शुगर पर पड़ने वाले असर का विश्लेषण किया। सभी प्रतिभागियों को लगातार तीन महीने तक दिनभर में 600 से 800 कैलोरी का सेवन कराया गया। उनके खानपान में फैट और कार्बोहाइड्रेट के मुकाबले प्रोटीन, विटामिन व मिनरल की मात्रा बढ़ाई गई। चौथे महीने में प्रवेश करते-करते 12 फीसदी प्रतिभागी उस अवस्था में पहुंच गए थे, जहां दवा खाए बिना ही उनके ब्लड शुगर की रीडिंग सामान्य आ रही थी।

वहीं, 11 फीसदी की दवा की खुराक दो-तिहाई से भी कम हो गई थी। केलर ने बताया कि 12 महीने लो-कैलोरी डाइट लेने पर लगभग सभी मरीज या तो बिना दवा या फिर बेहद कम खुराक की बदौलत ब्लड शुगर को काबू में रखने की स्थिति में आ गए। हालांकि, उन्होंने चेताया कि डायबिटीज रोगियों को डायटीशियन से राय-मशविरा किए बिना कैलोरी में भारी कटौती नहीं करनी चाहिए। ब्लड शुगर अचानक घटने से जान जाने का जोखिम होना इसकी मुख्य वजह है।

टाइप-1 डायबिटीज : इसमें अग्नाशय इंसुलिन का उत्पादन करने में सक्षम नहीं होता, इंजेक्शन के जरिये इंसुलिन लेने की जरूरत पड़ती है, टाइप-1 डायबिटीज आमतौर पर जन्मजात होती है

टाइप-2 डायबिटीज : इसमें या तो अग्नाशय पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन पैदा नहीं करता या फिर उसके इस्तेमाल की शरीर की क्षमता कमजोर पड़ जाती है, मोटापा और खराब जीवनशैली मुख्य वजह

-ब्लड शुगर अनियंत्रित होने पर आंखों की रोशनी जाने, किडनी खराब होने और अंग सड़ने के साथ ही हार्ट अटैक व स्ट्रोक से मौत का खतरा बढ़ जाता है।

उपाय-

-600 से 800 कैलोरी रोजाना लेने पर तीन महीने में दिखता है फायदा

-अग्नाशय पर ज्यादा मात्रा में इनसुलिन पैदा करने का नहीं होता दबाव

-ग्लूकोज को ऊर्जा में तब्दील करने वाले हार्मोन की बढ़ती है कार्य क्षमता

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