नईदिल्ली। दिल्ली में दीपावली के पहले जो प्रदूषण का स्तर बढ़ा, वह घटने का नाम नहीं ले रहा। हालात ये बन गए की लोग अपना घर-अपना शहर छोड़ अन्य राज्यों में पलायन कर रहे है। इसमें कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री सोनिया गांधी का भी नाम शामिल है। सोनिया गांधी भी डॉक्टर्स की सलाह पर दिल्ली से राजस्थान में शिफ्ट हो गई है। इस पलायन का मुख्य कारण प्रदूषण है,सीधी सी बात है दिल्ली प्रदूषण की वजह से गैस चैंबर बनी हुई है। यहां हवा का स्तर इतना खराब है कि यहां सांस लेना भी मुश्किल हो गया है।वहीँ इस मामले को लेकर जिम्मेदार राज्य सरकार और जनप्रतिनिधि कोई उपाय खोजने की जगह राजनीति कर रहे है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार के मंत्री दिल्ली में प्रदूषण के लिए पड़ोस की राज्य सरकारों को दोषी बता रहे है। उनका आरोप है कि हरियाणा और उप्र में पराली जलाने और पटाखों पर बैन ना होने के कारण दिल्ली में प्रदूषण बढ़ा है। वहीँ अपनी ही पार्टी की सरकार वाले राज्य पंजाब में किसानों द्वारा जलाई जा रही पराली पर वह मौन है। जबकि सुप्रीम कोर्ट भी पंजाब में पराली जलाने वाले किसानों को सजा देने का सुझाव दे चुका है।
पडोसी राज्यों को ठहराया जिम्मेदार -
वहीँ दीपावली बाद दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने पर भी केजरीवाल सरकार ने उप्र और हरियाणा सरकार को दिल्ली में आबो हवा खराब करने का आरोप लगाया। केजरीवाल का कहना है कि दिल्ली में पटाखें बैन थे, इसके बावजूद दिल्ली में पटाखें चले। ऐसे में सवाल उठता है की ये पटाखें लोगो के पास कैसे आए। उनका कहना है पडोसी राज्य उप्र और हरियाणा में पटाखें बैन ना होने के कारण दिल्ली में पटाखें आएं और चले, यदि ये दोनों राज्य सरकारें भी अपने यहां पटाखें बैन कर देती तो राज्य में पटाखों से प्रदूषण नहीं बढ़ता।
एलजी ने केजरीवाल सरकार पर सवाल उठाएं -
अब इस मामले में दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने भी केजरीवाल सरकार को कोई उपाय ना करने के लिए घेरा है। उन्होंने दिल्ली के प्रदूषण मामले में सोशल मीडिया साइट एक्स पर खरी-खरी बातें लिखी हैं। एलजी ने लिखा - "दिल्ली सरकार दूसरे राज्यों से उड़कर आ रहे पराली के धुएं को रोकने के लिए कुछ नहीं कर सकती है, लेकिन प्रदूषण को कम करने के लिए काम कर सकती है. एलजी ने दिल्ली सरकार को दिल्ली की टूटी-फूटी सड़कों, फुटपाथ, निर्माण स्थल से उठ रहे धुल के कणों को कम करने और वाहनों से निकलने वाले धुएं पर लगाम लगाने का सुझाव दिया है। "
एनजीटी ने दिल्ली सरकार से मांगा स्टेटस
वहीँ अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बढ़ते वायु प्रदूषण पर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है। एनजीटी ने राज्यों को वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए और कड़े कदम उठाने का आदेश दिया। एनजीटी ने 22 नवंबर तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।दरअसल, 16 नवंबर को दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी (डीपीसीसी) ने एनजीटी में दाखिल एक्शन टेकन रिपोर्ट में कहा है कि दिल्ली में प्रदूषण रोकने के लिए स्मॉग टावर्स प्रभावी नहीं है और वो प्रदूषण का व्यावहारिक समाधान नहीं है। डीपीसीसी ने आईआईटी बॉम्बे और दिल्ली की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि स्मॉग टावर्स अपने सौ मीटर की परिधि में 17 फीसदी ही प्रदूषण कम करता है। ऐसे में पूरी दिल्ली को कवर करने के लिए करीब 40 हजार स्मॉग टावर्स लगाने पड़ेंगे।
एनजीटी से रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं -
अब एनजीटी ने दिल्ली, सरकार को स्टेटस रिपोर्ट दोबारा 20 नवंबर तक दाखिल करने का निर्देश दिया। एनजीटी ने कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदम संतोषजनक नहीं हैं। संबंधित अधिकारियों को इस मुद्दे पर पूरी गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता में कोई सुधार दिखाई नहीं दे रहा है बल्कि स्थिति सुधरने की बजाय बदतर हो गई है।
हवा की गुणवत्ता -
केंद्र सरकार और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी द्वारा हवा की गुणवत्ता को चार चरणों में वर्गीकृत किया गया है: -
- पहला चरण- खराब (एक्यूआई 201-300),
- दूसरा चरण- बहुत खराब (एक्यूआई 301-400),
- तीसरा चरण- गंभीर ( एक्यूआई 401-450)
- चौथा चरण- अत्यधिक गंभीर (एक्यूआई 450 से ऊपर) है.