भारत को पुनः विश्व गुरु बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा महाकुंभ-2025: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविन्द्र पुरी से विशेष बातचीत...
सनातन धर्म की लोक आस्था की नैसर्गिक शक्ति हैं संन्यासी और साधक। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविन्द्र पुरी से बातचीत।;
डॉ.अतुल मोहन सिंह, महाकुम्भनगर। 144 वर्ष बाद हो रहा पुनः भारतवर्ष पर सौभाग्य की अमृत वर्षा होने जा रही है। प्रयागराज महाकुंभ- 2025 भारत को पुनः विश्व गुरु बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा करेगा। इस महाकुम्भ से सकल विश्व को भारत की सनातन शक्ति का दर्शन, प्रदर्शन और संदेश मिलने जा रहा है। विश्व के कोने-कोने से आस्थावान श्रद्धालु प्रयागराज आ रहे हैं।
कुंभ में साधकों, संतों, मनीषियों और सनातन शक्ति के दर्शन के साथ ही भारत और भारतीयता की परिभाषा को जगत समझ सकेगा। उक्त उद्गार अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविन्द्र पुरी (महानिर्वाणी) ने स्वदेश के साथ खास बातचीत में यह कहीं।
विश्व भर की सनातन संस्कृतियों का संगम : महंत रविन्द्र पुरी ने 'स्वदेश' को बताया कि यह अद्भुत संयोग है। प्रयागराज में विश्व भर की सनातन संस्कृतियों का संगम आकार ले रहा है। महाकुंभ-2025 का अनौपचारिक शंखनाद होने में कुछ घंटे ही शेष हैं।
हिन्दू संस्कृति के सभी प्रमुख अखाड़ों, पंथों, सम्प्रदायों की धर्म ध्वजाएं संगम की रेती पर लहलहा रही हैं। यह सृष्टि पर्व 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलेगा। महाकुंभ में इन दिनों देशभर के अखाड़ों से साधु-संत पहुंच रहे हैं।
संगम तट पर उमड़ रहा आस्था का ज्वर अनुपम है। अद्वितीय है। अलौकिक है। और अविस्मरणीय भी। उन्होंने सकल आस्थावान समाज से आग्रह किया कि गंगा-यमुना-सरस्वती के पवित्र संगम पर 'मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत' के साक्षी बनने के लिए अपने बच्चों को अवश्य लाएं।
13 अखाड़ों और 147 संप्रदायों की उपस्थिति से बढ़ी सनातन की शक्ति : रविंद्र पुरी ने 'स्वदेश' को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अभिभावकत्व, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ जिस तरह से इस महा आयोजन को सजाने-संवारने में अथक परिश्रम कर रहे हैं। उसके लिए संत समाज और अखाड़ा परिषद इनके प्रति कृतज्ञ भाव व्यक्त करता है।
एक प्रश्न के उत्तर में महंत रविंद्र पुरी ने कहा कि सभी 13 अखाड़ों और 147 संप्रदायों की उपस्थिति-सहभागिता से भारत की सनातन शक्ति एवं ज्ञान परंपरा से सकल विश्व परिचित हो रहा है। उन्होंने कहा कि कुंभ कोई बाजार या ऐसी जगह नहीं है जहां कोई व्यावसायिक गतिविधि होती है।
कुंभ भारत की वह प्राण शक्ति स्थल है जहां सनातन लोक अपनी गहरी आस्था के साथ आकर अपने आदर्श स्थापित करता है। इसमें संतों, साधकों और ज्ञान परंपरा के माध्यम से देश, समाज और लोक के हित में निर्णय भी लिए जाते हैं।
संत परंपरा को डरा नहीं कोई भी शक्ति : 'स्वदेश' के एक अन्य प्रश्न के उत्तर में महंत रविंद्र पुरी ने कहा कि भारत की संत परंपरा को कोई भी शक्ति भय से दबा या डरा नहीं सकती। जो लोग कुंभ में व्यवधान या किसी प्रकार की असामाजिक गतिविधि की योजनाएं बना रहे हैं या सोच भी रहे हैं उनके लिए स्पष्ट संदेश है कि वे जहां हैं वहीं तक सीमित रहें।
कुंभ का जो उद्देश्य है वह लोक कल्याण के लिए है। कुंभ की सुरक्षा के लिए मोदी और योगी की एजेंसियां सक्षम हैं और हमें अपनी सरकारों की हर व्यवस्था पर गर्व है।
संत और साधक भारत की सनातन संस्कृति के शक्तिपुंज : 'स्वदेश' से एक अन्य प्रश्न के उत्तर में महंत रविन्द्र पुरी ने कहा कि संत और साधक भारत की सनातन संस्कृति के शक्तिपुंज हैं। कुंभ ही एक ऐसा अवसर होता है जब लोक अपनी इस शक्तिपुंज का साक्षात दर्शन भी करता है और उनसे मार्गदर्शन भी प्राप्त करता है।
प्रयागराज महाकुम्भ की सफलता सनातन की शक्ति में वृद्धि करेगा। अयोध्या में प्रभु श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से शुरू हुई सनातन के पुनर्जागरण की यात्रा महाकुम्भ तक आते-आते विशाल फलक प्राप्त कर चुकी है।
कौन हैं महंत रविंद्र पुरी? :
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी उत्तराखंड के हरिद्वार में साधनारत हैं। वह श्रवण नाथ मठ, हरिद्वार के अध्यक्ष हैं। रामानंद इंस्टीटूट ऑफ फार्मेसी मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी के चेयरमैन हैं।
पंचायति अखाड़ा श्री निरंजनी हरिद्वार के राष्ट्रीय सचिव हैं। श्री मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं। इसके साथ ही, वह एसएमजेएन पीजी कॉलेज, हरिद्वार की प्रबंधन समिति के भी अध्यक्ष हैं।