रूस-यूक्रेन के बेनतीजा युद्ध का असर, चीन ने भारत से संबंध सुधारने के दिए संकेत
नईदिल्ली। यूक्रेन और रूस के बीच बीते 20 दिनों से जारी युद्ध का परिणाम अब तक बेनतीजा रहा है। विश्वभर में महाशक्ति माने जा रहे रूस की यूक्रेनी सेना के हौसले ने दुर्गति कर रखी है।रूस की हालत देख विस्तारवादी विचारधारा रखने वाले चीन ने सबक ले लिया है। युद्ध का नतीजा देख चीन ने भारत के प्रति नरम रुख अपनाना शुरू कर दिया है। उसकी ये नरमी ड्रैगन के स्कॉलर्स की बातों में भी झलक रही है।
भारत -चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर चल रहे गतिरोध पर चीन की छिंगहुआ यूनिवर्सिटी के नेशनल पॉलिसी रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर छ्येन फंग ने भारत की सराहना की है। छ्येन फंग ने कहा की दोनों देश 15 वें दौर की वार्ता में कदम दर कदम विश्वास बहाल कर रहे हैं। ऐसा करके वे अगले चरण की बातचीत में विवाद के निपटारे के लिए न्यायपूर्ण और समुचित हल का आधार तैयार कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा की दोनों देशों के हजारों सैनिक पश्चिमी सीमा पर तैनात है। ऐसी परिस्थिति में दोनों देश युद्ध से बचने के लिए अधिक संयम और परिपक्वता बरत रहे है।
दोनों देश हल निकालने में सक्षम -
छ्येन फंग ने कहा की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) क्षेत्र में गश्ती को लेकर मतभेद है। इसका अर्थ ये नहीं है की दोनों देश समुचित समाधान नहीं निकाल सकते। इसके बावजूद दोनों देश लंबे समय तक इलाके में शांति और अमन चैन बनाए रखने में सफल रहे है। दोनों पक्षों ने पहले भी सेना के आमने-सामने होने की घटना का समाधान किया था।
लद्दाख मुद्दे पर व्यवहारिक रुख -
बता दें की 11 मार्च को भारत और चीन के बीच हुई 15वें दौर की कोर कमांडर स्तरीय बातचीत हुई थी। जिसमें सीमा पर सैन्य तनाव कम होने पर कोई नतीजा सामने नहीं आया।दोनों पक्षों ने संयुक्त प्रेस रिलीज जारी करके सैद्धांतिक समानताओं पर जोर दिया। छ्येन फंग के अनुसार पूर्वी लद्दाख के मुद्दे पर भारत और चीन ने अधिक व्यवहारिक रुख दिखाया है।
स्थिति नियंत्रित
छ्येन फंग ने कहा की युक्त प्रेस रिलीज के अनुसार वार्ता में दोनों देश इस बात पर सहमत हुए कि अगले दौर की बैठक होने तक पश्चिमी सेक्टर की सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखेंगे। इससे स्पष्ट होता है कि भारत और चीन दोनों देशों के पास शांतिपूर्ण तरीके से मतभेद सुलझाने की प्रतिबद्धता है और वहां की स्थिति नियंत्रण में भी है।