Kanger Valley: यूनेस्को की लिस्ट में शामिल हुआ कांगेर वैली, वित्त मंत्री ओपी चौधरी बोले- ये गर्व का क्षण
Kanger Valley Included in UNESCO List : रायपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में स्थित कांगेर घाटी नेशनल पार्क को यूनेस्को ने 2025 की वर्ल्ड हेरिटेज साइट की तदर्थ (टेंटेटिव) सूची में शामिल कर लिया है। अब छत्तीसगढ़ सरकार को एक साल के भीतर पूरी तथ्यात्मक जानकारी और आवश्यक दस्तावेजों के साथ अपना दावा पेश करना होगा, ताकि इसे पूर्ण रूप से वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा मिल सके। वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने इसे गर्व का क्षण बताया है।
छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने सोशल मीडिया पर इस उपलब्धि को साझा करते हुए इसे प्रदेश के लिए ऐतिहासिक पल बताया। उन्होंने कहा, छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का क्षण है। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की अस्थाई सूची में शामिल किया गया है। कांगेर घाटी की जैव विविधता और सुंदर जलप्रपात इसे अनमोल बनाते हैं।
वर्ल्ड हेरिटेज साइट के लिए भेजा गया प्रस्ताव यूनेस्को की टेंटेटिव लिस्ट में शामिल किया गया है, जो अपने आप में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जाती है। कांगेर घाटी नेशनल पार्क 200 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और यहां की भौगोलिक संरचना, गुफाएं, वनस्पतियां, दुर्लभ पक्षी एवं जनजातीय संस्कृति इसे और भी अनोखा बनाती हैं।
बता दें कि, यूनेस्को किसी स्थल को तीन श्रेणियों में वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा देता। है प्राकृतिक धरोहर (Natural Heritage), सांस्कृतिक धरोहर (Cultural Heritage), मिश्रित धरोहर (Mixed Heritage)।
छत्तीसगढ़ सरकार ने कांगेर घाटी के लिए प्राकृतिक धरोहर श्रेणी में आवेदन किया था, जिसे यूनेस्को ने प्राथमिकता सूची में शामिल कर लिया है। अब सरकार को अगले एक साल में सभी जरूरी तथ्यों और शोध के साथ विस्तृत रिपोर्ट जमा करनी होगी।
अब छत्तीसगढ़ सरकार को एक साल के भीतर वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा पाने के लिए पूरी रिपोर्ट और प्रमाण प्रस्तुत करने होंगे। यदि यह प्रक्रिया सफल रहती है, तो कांगेर घाटी नेशनल पार्क न केवल भारत बल्कि दुनिया भर के लिए एक महत्वपूर्ण धरोहर के रूप में स्थापित होगा और यह पर्यटन व संरक्षण की दृष्टि से छत्तीसगढ़ के लिए बड़ी उपलब्धि होगी।
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान की विशेषताएं
- यहां दुर्लभ वनस्पतियां और जीव-जंतु पाए जाते हैं, जिनमें विशेष रूप से पहाड़ी मैना शामिल है, जो इंसानों की तरह बोलने की क्षमता रखती है।
- इस उद्यान में लाखों साल पुरानी कोटमसर गुफा समेत 16 लाइमस्टोन (चूना पत्थर) की गुफाएं हैं। खास बात यह है कि ये गुफाएं अभी भी “जिंदा” हैं यानी इनमें प्राकृतिक रूप से चूना पत्थर की संरचनाओं का निर्माण जारी है।
- इन गुफाओं में रहने वाले कुछ जीव-जंतु जैसे अंधी मछलियां और विशेष प्रकार के चमगादड़ वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं।
- इस क्षेत्र में रहने वाली धुरवा जनजाति हजारों साल पुरानी परंपराओं और संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती है। ये जनजातियां जंगल के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।