नईदिल्ली। केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेेने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने आखिरकार सरकार के साथ बातचीत करने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। किसान संगठनों ने कहा है कि 29 दिसम्बर (मंगलवार) की सुबह 11 बजे वे नये कृषि कानूनों पर चर्चा करेंगे।
दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर किसान संगठनों ने शनिवार को एक बैठक के बाद सरकार के प्रस्ताव पर निर्णय लेते हुए उसके साथ आगे की बातचीत पर सहमति जताई है। किसान संगठन 29 दिसम्बर की सुबह 11 बजे सरकार से बातचीत करेंगे। उन्होंने बताया कि उनकी बातचीत का मुख्य मुद्दा तीनों कानूनों को रद्द करने, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी दर्जा देने तथा नए विद्युत अधिनियम 2020 में संशोधन करना होगा।
इस दौरान किसान संगठनों ने सरकार द्वारा किसानों की मांग को गलत तरीके से पेश करने को लेकर नाराजगी भी जताई। उन्होंने कहा कि कृषि मंत्री के सचिव की ओर से भेजे प्रस्ताव में भी सरकार ने पिछली बैठकों के तथ्यों को छिपाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश की। किसान हमेशा से तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की ही मांग करते रहे हैं। जबकि सरकार ने किसानों की मांग को ऐसे पेश किया जैसे किसान संशोधन की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार अक्सर कहती रहती है कि वो किसानों की बात सुनना चाहती है लेकिन ऐसा होता तो किसानों के मुद्दों और मांगों पर गलतबयानी नहीं की जाती। हम आग्रह करते हैं कि सरकारी तंत्र का इस्तेमाल कर किसानों के खिलाफ दुष्प्रचार बंद किया जाए।