Abdul Rahim Rather: अब्दुल रहीम राथर चुने गए जम्मू-कश्मीर विधानसभा के स्पीकर, पहले भी संभाल चुके जिम्मेदारी

Update: 2024-11-04 07:00 GMT

JK Assembly speaker Abdul Rahim Rather

JK Assembly speaker Abdul Rahim Rather : श्रीनगर। नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के वरिष्ठ नेता और सात बार विधायक रह चुके अब्दुल राहिल राथर को सोमवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा का नया अध्यक्ष चुना गया। वह चरार-ए-शरीफ से सात बार के विधायक हैं। विपक्षी दलों द्वारा इस पद के लिए चुनाव न लड़ने के फैसले के बाद राथर को ध्वनि मत से अध्यक्ष चुना गया। प्रोटेम स्पीकर मुबारक गुल ने विधानसभा के स्पीकर का चुनाव कराया।

कृषि मंत्री जावेद अहमद डार ने राथर को इस पद के लिए नामित करने का प्रस्ताव रखा, जबकि एनसी के विधायक रामबन अर्जुन सिंह राजू ने प्रस्ताव का समर्थन किया। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी आज सदन को संबोधित करेंगे।

सीएम अब्दुल्ला ने दी बधाई 

अब्दुल राहिल राथर को बधाई देते हुए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि वह "अध्यक्ष पद के लिए स्वाभाविक पसंद" हैं। उन्होंने कहा, "आपने कभी पार्टी में रहकर तो कभी विपक्ष में रहकर लोगों की सेवा की है। अब आप सदन के संरक्षक हैं।" रविवार को अपने विधायक दल की बैठक के दौरान, जम्मू-कश्मीर भाजपा ने उपसभापति पद के लिए नरिंदर सिंह रैना को अपना उम्मीदवार नामित किया। पार्टी ने अध्यक्ष पद के लिए किसी उम्मीदवार का नाम नहीं बताया।

कौन है अब्दुल रहीम राथर

अब्दुल रहीम राथर चरार-ए-शरीफ सीट से सात बार के विधायक हैं। वह पहले भी जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में अध्यक्ष रह चुके हैं और 2002 से 2008 तक विपक्ष के नेता भी रहे हैं। जब महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) और उमर अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) ने राज्य में सरकार बनाई थी, तब राथर ने इस पद की जिम्मेदारी संभाली थी।

1977 से लगातार बने विधायक

एडवोकेट अब्दुल रहीम राथर ने विधानसभा चुनाव में सातवीं बार सफलता प्राप्त की है। वह 1977 से 2014 तक नेशनल कॉन्फ्रेंस के टिकट पर बडगाम जिले के चार-ए-शरीफ निर्वाचन क्षेत्र से लगातार जीतते रहे हैं। हालांकि, 2014 में पीडीपी के उम्मीदवार गुलाम नबी लोन से चुनाव हार गए थे। इसके बाद 10 साल तक चुनाव नहीं हुए, लेकिन 2024 विधानसभा चुनाव में उन्होंने वापसी की और गुलाम नबी लोन को हराया।

वित्त मंत्री की जिम्मेदारी

राथर नेशनल कॉन्फ्रेंस की पूर्ववर्ती सरकारों में राज्य के वित्त मंत्री रह चुके हैं। वह फारूक अब्दुल्ला की पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं और उन्होंने पार्टी के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के साथ भी कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई हैं।

गौरतलब है कि, जम्मू-कश्मीर विधानसभा का अंतिम सत्र अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से एक साल पहले, 2018 में आयोजित हुआ था। यह केंद्र शासित प्रदेश में सितंबर-अक्टूबर में हुए विधानसभा चुनावों के बाद पहला सत्र है, जो 10 साल के लंबे अंतराल के बाद आयोजित किया गया। नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन ने 90 विधानसभा सीटों में से 49 सीटें जीतकर चुनाव में सफलता हासिल की, जबकि भाजपा ने सभी 29 सीटें जम्मू क्षेत्र से जीतीं। उमर अब्दुल्ला ने 16 अक्टूबर को मुख्यमंत्री के पद की शपथ ली।

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