किसानों द्वारा आश्वासन - आम आदमी को परेशान नहीं होने देंगे; सच - बदरपुर बॉर्डर को भी बंद करने की तैयारी में

Update: 2020-12-07 10:45 GMT

नई दिल्ली/स्वदेश वेब डेस्क। कथित किसानों द्वारा सिंघु बॉर्डर पर पिछले 12 दिन से धरना दिया जा रहा है जिससे आम आदमी को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है किसान अपने साथ में सभी प्रकार का राशन और दैनिक उपयोग में आने वाली सामग्री का इंतजाम करके सुनियोजित रूप से आंदोलन का मन बना कर आए हैं। केंद्र सरकार द्वारा किसानों को बार-बार बोला जा रहा है की एमएसपी कभी खत्म नहीं होगी और किसानों को उनकी अनाज का उचित मूल्य मंडी व्यवस्था के अनुरूप ही मिलेगा लेकिन भारतीय किसान यूनियन संघ MSP के अलावा भी बहुत से मुद्दों को लेकर सरकार से चर्चा कर चुके हैं और अपनी मांगे मनवाने के लिए विभिन्न हथकंडे अपना रहे हैं। 

किसान यूनियन का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए तीनों कानूनों को विशेष सत्र बुलाकर रद्द किया जाए जबकि सरकार का कहना है कि यह किसान विरोधी कानून नहीं है इससे किसानों की आय प्रभावित नहीं होगी जबकि उसको विभिन्न लाभ ही मिलेंगे, फिर भी हम संसोधन करने को तैयार हैं, किसान आंदोलन छोड़ रास्ता खाली करें। 

खैर, इस आंदोलन में होश उड़ा देने वाले नजारे भी देखने को मिल रहे हैं जहां एक तरफ कथित किसान बोल रहे हैं की यह आंदोलन पूर्ण रूप से किसानों का है लेकिन इस आंदोलन में खालिस्तानी अलगाववादी, भिंडरावाले के पोस्टर आदि लगे दिखाई दिए हैं। जिनका इन्होने इस मुद्दे पर स्पष्टता से बात नहीं की है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी खालिस्तान द्वारा पोषित आंदोलन की भूमिका पर संदेह जता चुके हैं।   

इस आंदोलन से आम आदमी जाम से त्रस्त हैं वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रहे हैं किसानों के नेता यह बोल रहे हैं कि हम आम आदमी को परेशान नहीं होने देंगे और शांति से प्रदर्शन करते रहेंगे और हम आम आदमी को परेशान होता हुआ देखना नहीं चाहते इसलिए हमारा भारत बंद का समय 11:00 से 3:00 तक रखा गया है लेकिन जानकारी के अनुसार यह बात सामने आई है की किसान यूनियन दिल्ली के समस्त बॉर्डरों को सील करने की तैयारी में है जहां बदरपुर बॉर्डर पर डेरा डालना चालू कर दिया है अगर बदरपुर बॉर्डर को भी सिंघु बॉर्डर की तरह सील कर दिया गया तो एनसीआर के लोग जो प्रतिदिन उपयोग करते हैं उनको भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा, इमरजेंसी मेडिकल सेवाओं पर ज्यादा असर पड़ता दिखाई दे रहा है। किसान यूनियन की इन दोहरी नीति से समझ में आता है कि किस तरह कथित किसान/ आढ़तिये/बिचौलिए आदि अपने अड़ियल रवैये से सरकार को कनून रद्द करने के लिए मजबूर करने का प्रयास कर रहे हैं। जबकि पास हुए तीनों कृषि कानून किसानों के हक़ में है ऐसी हर जगह चर्चाए हैं। सरकार तो सब्सिडी और विभिन्न सहयोग से किसानों को हर सुविधा भी उपलब्ध करा रही है। लेकिन  फिर भी ये मानने को तैयार नहीं.... 


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