आपदा की घड़ी में मदद के लिए आगे आए अंबानी-अडानी, कोसने वाले किसान नेता गायब

Update: 2021-04-27 15:19 GMT

वेबडेस्क। देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर शुरू होने के साथ सभी राज्यों में ऑक्सीजन, बेड की कमी की समस्या सामने आने लगी है।  आपदा को देख देश के बड़े उद्योगपति, व्यवसायी समूहों ने आगे बढ़कर लोगों और सरकार की सहायता कर रहें है। जहां कुछ उद्योगपति धन दे रहें है, वहीँ कुछ अपने संसाधनों को सरकार को सौंप आपदा में सहायता कर रहें है।  

ऑक्सीजन की किल्ल्त बढ़ते ही अंबानी, अडानी, टाटा और जिंदल सहित कई बड़े उद्योगपतियों आगे बढ़कर सैंकड़ों टन सप्लाई कर स्थिति को संभाला। ये व्यापारियों ऐसे समय में मदद के लिए आगे आएं है।  जब देश को सबसे ज्यादा जरुरत थी।महाराष्ट्र में ऑक्सीजन की कमी सामने आने के बाद रिलायंस समूह के चेयरमेन मुकेश अंबानी ने अपने जामनगर प्लांट से ऑक्सीजन देना शुरू कर दिया। आज उनकी कंपनी 700 टन ऑक्सीजन प्रतिदिन सप्लाई कर रही है। बड़ी बात ये है की वह और उनकी कंपनी इस ऑक्सीजन के लिए सरकार से कोई पैसा नहीं ले रहीं है। वहीँ टाटा समूह की टाटा स्टील कंपनी रोजाना 300 टन ऑक्सीजन देश के सभी राज्यों में पहुंचा रहीं है। टाटा समूह विदेशों से ऑक्सीजन टैंकर लाने में भी सरकार की सहायता कर रहा है। इसके अलावा गौतम अडानी की कंपनी और जिंदल समूह भी ऑक्सीजन की सप्लाई कर रहा है।

क्यों कर रहें है मदद - 

आपदा की इस घड़ी में देश को संभालने वाले ये उद्योगपति कुछ आंदोलनकारियों के लिए सभी मुसीबतों की जड़ रहें है। वे हर मौके पर इन्हें कोसते ही नजर आएं है। लेकिन मुसीबत के समय में वह सभी आंदोलनकारी कहीं नजर नहीं आ रहें है। ऐसे आंदोलनकारियों के लिए एक प्रश्न है की यदि ये लोग देश को लूटने वाले हैं।  देश में गरीबी के लिए जिम्मेमदार है तो मदद क्यों कर रहें हैं। किसान आन्दोलन के समय कृषक हितैषी बनकर उभरे राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव, तीखी बातें और ट्वीट्स के जरिए सरकार पर निशाना साधने वाली स्वरा भास्कर इस समय कहाँ है।अपने स्तर पर कितने लोगों की सहयता करने का प्रयास किया अथवा कोरोना कर्फ्यू के इस दौर में आर्थिक परेशानी झेल रहें गरीबों को क्या मदद पहुंचाई।  

साल के आरंभ में देश में शुरू हुए किसान आंदोलन के समय इन्हीं कथित किसान नेताओं ने मन भर कर उद्योगपतियों को कोसा था। राकेश टिकैत और योगेंद्र यादव केंद्र के कृषि कानूनों को व्यापारियों का क़ानून बता रहें थे। इन्हीं नेताओं के इशारों पर कथित किसानों ने कई स्थानों पर रिलायंस के टॉवरों को तोडा और नुकसान पहुंचाया। आज संकट की घड़ी में यही उद्योगपति देश के काम आ रहें है। 

कहां है विदेशी कंपनियां -

ऐसा ही एक प्रश्न उन लोगों से है जो स्वदेशी उत्पादों के प्रयोग के स्थान पर विदेशी वस्तुओं के उपभोग को अपनी शान समझते है। देश के वो लोग जो रिबॉक, टौमी हिलफिगर, नाइक, रेडमी, ओप्पो  जैसी कंपनियों के कपड़े, जूते मोबाइल ख़रीदना और मेंक्डोनाल्ड, डोमिनोज में जाकर स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले खाद्य पदार्थों में ढेरों रुपया खर्च कर समाज में शान दिखाना बेहतर मानते हैं। वे भी सोचें की की ये विदेशी कंपनिया भारत को इस समय क्या मदद दे रही है।  

राष्ट्रवादीयों की आवश्यकता - 

संकट की इस घड़ी ने देश को बता दिया की दूसरों पर आरोप लगाना और सरकार और सिस्टम को कोसना बेहद आसान कार्य हैं। ऐसे लोग सिर्फ कोसना और भ्रम फैलाना जानते हैं। देश को ऐसे लोगों की नहीं बल्कि राष्ट्रवादी अंबानी,  अडानी, जिंदल और टाटा जैसे उद्योगपतियों और लोगों की जरुरत है। जो संकट की घड़ी में बिना स्वार्थ देश की सहायता में जुट जाएं।  

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