Muslim Personal Law: क्या नाबालिग की शादी के नाम पर रेप की अनुमति इसलिए दी जा सकती है कि वो मुसलमान है? - प्रियंक कानूनगो का सवाल
नई दिल्ली। क्या भारत में एक नाबालिग बालिका की शादी के नाम पर उसके यौन शोषण और बलात्कार की अनुमति केवल इसलिए दी जा सकती है कि वो मुसलमान है? यह सवाल एनसीपीसीआर के पूर्व चेयरपर्सन प्रियंक कानूनगो ने पूछा है। प्रियंक कानूनगो ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को एक्स पर शेयर करते हुए यह सवाल किया है। उनके इस सवाल के बाद मुस्लिम पर्सनल लॉ (Muslim Personal Law) पर एक बार फिर डिबेट शुरू हो गई है।
प्रियंक कानूनगो ने एक्स पर लिखा कि, "माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने बाल विवाह के विरुद्ध दिए गए इस ऐतिहासिक फ़ैसले में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम को मुस्लिम पर्सनल लॉ के ऊपर लागू करने के निर्देश देने की सरकार की माँग ठुकराते हुए स्वयं को हस्तक्षेप से अलग कर ज़िम्मेदारी संसद पर डाल दी है। भारत में जन्म लेने वाली प्रत्येक बेटी भारत की बेटी है और बाबा साहब अम्बेडकर का संविधान हर एक बच्ची को समान अधिकार देता है। धर्म का चश्मा लगा कर बच्चियों के यौन शोषण पर चुप्पी साधना पाप है। धार्मिक आधार पर भेदभाव “स्वराज” नहीं है।"