ग्वालियर : एक हजार बिस्तर के अस्पताल निर्माण घोटाले की जांच शुरू, इंजीनियर खोल रहे एक-दूसरे की पोल

  • अतिरिक्त परियोजना संचालक ने लिए रेता, गिट्टी और निर्माण सामग्री के नमूने

Update: 2021-07-23 23:45 GMT

ग्वालियर, विशेष प्रतिनिधि। ग्वालियर चंबल क्षेत्र के लिए अति महत्वपूर्ण एक हजार बिस्तर के अस्पताल निर्माण में 3.85 करोड़ रुपए के घोटाले की आवाज अब भोपाल तक जा गूंजी है। लोक निर्माण विभाग के मंत्री गोपाल भार्गव एवं ग्वालियर के प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट के संज्ञान में यह मामला आने के बाद इसकी उच्च स्तरीय जांच लोक निर्माण विभाग पीआईयू के अतिरिक्त परियोजना संचालक वीके आरख से कराई जा रही है।

श्री आरख ने जांच का कार्य गुरुवार से शुरू कर दिया है और वह सोमवार तक अपनी जांच पूर्ण कर परियोजना संचालक भोपाल को भेज देंगे। उल्लेखनीय है कि एक हजार बिस्तर के अस्पताल निर्माण मामले में घोटाले की खबर का प्रकाशन सर्वप्रथम स्वदेश ने 21 जुलाई के अंक में और अपने न्यूज पोर्टल पर किया था। जिससे इस मामले की गूंज भोपाल तक जा पहुंची है। अस्पताल निर्माण का कार्य अभी पूरा नहीं हुआ है और कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए फिलहाल 560 बिस्तरों के कक्ष को शुरू करने की योजना है किंतु इस बीच परियोजना यंत्री पीएन. रायपुरिया द्वारा चार पृष्ठो के एक शिकायती पत्र ने सनसनी मचा दी है। जिसमें इस इस निर्माण में अनियमितताओं, भ्रष्टाचार और बिना कार्य के भुगतान में 3.85 करोड़ के घोटाले की बात कही गई है। जिस यंत्री द्वारा स्वयं खड़े होकर अस्पताल निर्माण कराया जा रहा है उसी के द्वारा इस तरह घोटाले के आरोप लगाने से लोक निर्माण विभाग पीआईयू के अधिकारियों की भी बोलती बंद हैं।

गुजरात की कंपनी कर रही निर्माण 

338 करोड रुपए की लागत का यह कार्य मैसर्स जेपी स्ट्रक्चर्स प्राइवेट लिमिटेड राजकोट गुजरात को मिला है। उसे अब तक 152 करोड़ रुपए का भुगतान भी मिल गया है। उसके स्थानीय प्रबंधक पर भी रायपुरिया द्वारा कई आरोप लगाए गए हैं। रायपुरिया के पत्र में एक एक मद का सिलसिलेवार जिक्र करते हुए घटिया निर्माण और लाखों रुपए के अतिरिक्त भुगतान की बातें लिखी गई है। जिससे यह मामला काफी पेचीदा हो गया है।

रेता, गिट्टी के लिए नमूने

अतिरिक्त परियोजना संचालक द्वारा शिकायत के बाद शुक्रवार को निर्माणाधीन अस्पताल पहुंचकर मिट्टी, गिट्टी और रेत के नमूने लिए गए। इन्हें प्रयोगशाला भेजकर गुणवत्ता की जांच कराई जाएंगी। जिससे यह साबित हो पाएगा कि निर्माण कार्य घटिया है या गुणवत्ता पूर्ण।

यंत्री (इंजीनियर) खोल रहे एक-दूसरे की पोल

यहां एक और महत्वपूर्ण बात सामने आई है कि श्री रायपुरिया द्वारा 12 जुलाई को वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र लिखकर घोटाले संबंधी जानकारी से अवगत कराया गया था जिसके जवाब में सहायक परियोजना यंत्री प्रवीण नामदेव सामने आए हैं। उनके द्वारा 16 जुलाई को परियोजना संचालक के नाम पांच पन्नों का एक पत्र जारी करते हुए रायपुरिया के आरोपों पर पलटवार किया गया है। यानीकि एक बड़े निर्माण पर एक ही विभाग के दो यंत्री आमने सामने आकर एक दूसरे की बधिया उखाडऩे में लगे हैं। नामदेव ने रायपुरिया पर आरोप जड़ा है कि जब उनके संज्ञान में सारी गलतियां उल्लेखित थीं तो उनके द्वारा विगत 10 से 34 चलदेयक में सुधार क्यों नहीं किया गया।

हमारे द्वारा बनाए गए देयकों को रायपुरिया द्वारा सुधारने की बात कह कर टाल दिया जाता था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि माप पुस्तिका में माप एवं गलत बिल अंकित कर 82 लाख का भुगतान इनके अनुमोदन पर ही किया गया। इसके साथ ही उन्होंने यह भी लिखा है कि रायपुरिया द्वारा यह शिकायत ठेकेदार को ब्लैकमेल करने की दृष्टि से की गई है। जिससे पीआईयू की छवि धूमिल हो रही हैं। इसमें उन्होंने यह भी शंका जाहिर की है कि अब अगस्त माह तक 576 पलंग का अस्पताल बन पाना सुनिश्चित नहीं है। वही नामदेव के इस जवाबी पत्र पर रायपुरिया का कहना है कि उनके द्वारा 82 लाख के बिल को सिर्फ रिकॉर्ड पर लेने की बात कही गई थी अनुमोदन नहीं किया था। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा की गई शिकायत के सारे बिंदु तथ्यात्मक हैं। मैं अपने द्वारा लिखे एक- एक बिंदु पर जांच कराने को तैयार हूं।

इनका कहना है

मेरे द्वारा गुरुवार से एक हजार बिस्तर के अस्पताल मामले में जांच का कार्य शुरू कर दिया गया है। चूंकि यह बड़ा मामला है इसलिए इसकी जांच में 3 से 4 दिन लगेंगे। सोमवार तक मेरे द्वारा परियोजना संचालक को रिपोर्ट सौंप दी जाएगी।

वीके आरख, अतिरिक्त परियोजना संचालक लोक निर्माण विभाग पीआईयू 

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