शौर्य दिवस पर कश्मीर पहुंचे रक्षा मंत्री, कहा - गिलगित-बाल्टिस्तान पहुंचकर हमारी यात्रा समाप्त होगी

शौर्य दिवस के मौके पर बड़गाम में आयोजित सैन्य कार्यक्रम में शामिल हुए रक्षामंत्री

Update: 2022-10-27 08:54 GMT

श्रीनगर। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आज भारत की जो एक विशाल इमारत हमें दिखाई दे रही है, वह हमारे वीर योद्धाओं के बलिदान की नींव पर ही टिकी हुई है। भारत नाम का यह विशाल वटवृक्ष, उन्हीं वीर जवानों के खून और पसीने से अभिसिंचित है। आज का यह शौर्य दिवस उन वीर सेनानियों की कुर्बानियों और बलिदान को ही याद करने का दिवस है। आज का यह दिवस उनके त्याग और समर्पण को हृदय से नमन करने का दिवस है।

गुरुवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शौर्य दिवस के मौके पर बड़गाम में आयोजित एक सैन्य कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। भारत-पाकिस्तान बंटवारे का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री सिंह ने कहा कि 1947 में भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजन की कथा लिखी गई। इस कथा की रक्तिम स्याही अभी सूखी भी न थी कि पाकिस्तान ने फिर विश्वासघात की एक नई पटकथा लिखी जानी शुरू कर दी थी। विभाजन के कुछ ही दिनों के भीतर पाकिस्तान का जो चरित्र सामने आया, उसकी कभी कल्पना भी नहीं की गई थी। उन्होंने कहा कि कश्मीरियत के नाम पर आतंकवाद का जो तांडव इस प्रदेश ने देखा, उसका कोई वर्णन नहीं किया जा सकता है। धर्म के नाम पर कितना खून बहाया गया, उसका कोई हिसाब नहीं। आतंक को कई लोगों ने मजहब से जोड़ने की कोशिश की। आतंकी तो बस बंदूक तान कर अपने मंसूबों को अंजाम देना जानते हैं। कोई भी प्रभावित होता है तो वो पहले हिन्दुस्तानी होता है और उससे भी पहले वो इंसान होता है।

-आज़ादी के बाद से ही धरती का स्वर्ग कहे जाने वाला यह प्रदेश कुछ स्वार्थपूर्ण राजनीति की भेंट चढ़ गया और एक सामान्य जीवन जीने के लिए तरस गया था। इसी स्वार्थपूर्ण राजनीति के चलते पूरे प्रांत को लंबे समय तक अंधेरे में रखा दिया गया था।  -

देश का एक अभिन्न अंग होने के बाद भी जम्मू और कश्मीर के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार किया जा रहा था।

-एक ही राष्ट्र में दो विधान, दो निशान और दो प्रधान कार्य कर रहे थे।

-भारत सरकार की अनेक कल्याणकारी योजनाएं दिल्ली से चलती थीं, पर पंजाब और हिमाचल की सीमा तक आते-आते रुक जाती थीं।

- आज आदि शंकराचार्य के मंदिर में दर्शन करने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं। वे राष्ट्र की संस्कृति का प्रतीक हैं। विडंबना देखिए, जहां पर भारत की एकता के सूत्र में पिरोने वाले आदि शंकराचार्य का मंदिर स्थित है, उस इलाके को बाकी भारत से भिन्न-भिन्न देखा और समझा जाने लगा।

- पोओजेके के लोगों को कितने अधिकार मिले हैं? आए दिन वहां पर अमानवीय घटनाओं की खबरें सुनाई देती हैं। आने वाले समय में पाकिस्तान को उसके कर्मों का परिणाम जरूर मिलेगा। हम पीओजेके के लोगों के दर्द को भी हमें भी खलता हैं।

- अभी तो हमने उत्तर दिशा की ओर चलने की ओर चलना शुरू किया गया है। यात्रा तब पूरी होगी जब 22 फरवरी 1949 को भारतीय संसद में पारित प्रस्ताव को अमल में लाएंगे। उसके अनुरूप को गिलगित, बाल्टिस्तान तक पहुंचेगे। तब सरदार वल्लभ भाई पटेल का सपना पूरा होगा। 1947 के रिफ्यूजियों को न्याय मिलेगा। 

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