Explainer : धरती के Inner Core में हलचल, कहीं बड़े खतरे का सन्देश तो नहीं, जानिए क्‍या है कारण...

Earth Inner Core Speed Rotation Explainer : इनर कोर पर रिसर्च या स्टडी करना कोई आसान बात नहीं है।

Update: 2024-07-11 07:44 GMT

Explainer : धरती के Inner Core में हलचल, कहीं बड़े खतरे का सन्देश तो नहीं, जानिए क्‍या है कारण...

Earth Inner Core Speed Rotation Explainer : स्वदेश विशेष। ब्रह्माण्ड लगातार गतिशील है। इसमें हर सेकेंड कई बदलाव होते हैं। पृथ्वी जहां मानव जीवन संभव है वह भी कई बदलावों से गुजर रही है। वैज्ञानिक शोध के मुताबिक पृत्वी में कई बड़े बदलाव आ रहे हैं जिसका इंसानी जीवन पर भी खासा प्रभाव पड़ेगा। एक स्टडी के मुताबिक धरती के इनर कोर (Earth Inner Core) की न केवल घूमने की गति धीमी हुई है बल्कि अब ये उल्टा भी घूमने लगा है। आइए जानते हैं इस स्टडी के बारे में और विस्तार से...।

पहले जानिए धरती की इनर लेयर के बारे में।

हमारी धरती कई लेयर्स में विभाजित है। इनमें क्रस्ट, मैंटल, आउटर कोर और इनर कोर शामिल है। इनर कोर को घरती का दिल भी कहा जाता है। 1936 में डेनिश भूकंपविज्ञानी इंगे लेहमैन द्वारा इसकी खोज की गई थी। 1221 किलोमीटर रेडियस वाले इनर कोर में आयरन और निकिल है। इसका तापमान 5 हजार से 6 हजार डिग्री सेल्सियस है। इनर कोर पृथ्वी के अंदर स्थिर नहीं है, यह लगातार गतिशील है। हालिया शोध इसी लेयर पर किया गया है।

यूनिवर्सिटी ऑफ़ साउथर्न कैलिफ़ोर्निया के डॉर्नसिफ़ कॉलेज ऑफ़ लेटर्स, आर्ट्स एंड साइंसेज में पृथ्वी विज्ञान के डीन के प्रोफेसर डॉ. जॉन विडेल द्वारा की गई रिसर्च में इस बात की पुष्टि हुई है कि, पृथ्वी के इनर कोर का रोटेशन तो धीमा हुआ ही है साथ ही यह उल्टी दिशा में भी घूम रही हैं। इसका प्रभाव पृत्वी के घूर्णन पर पड़ सकता है।

पृत्वी के आंतरिक भाग की स्टडी कैसे की ?

इनर कोर पर रिसर्च या स्टडी करना कोई आसान बात नहीं है। पृत्वी की इस लेयर तक पहुंचना नामुनकिन है। ऐसे में इनर कोर की स्पीड और रोटेशन के बारे में जानने के लिए वैज्ञानिकों द्वारा भूकंप से उठने वाली भूकंपीय तरंगों सहारा लिया गया। इनर कोर पर पहले भी कई स्टडी हुई है लेकिन हर बार यह विवादों में आ जाती है।

2023 में भी हुई थी स्टडी :

पृत्वी के इनर कोर पर साल 2023 में एक स्टडी हुई थी। इसमें दावा किया गया था कि, पृत्वी के इनर कोर का रोटेशन अब धीमा होने लगा है। बताया गया था कि, इनर कोर पहले पृत्वी की गति से तीव्र घूमता था। कुछ समय बाद पृत्वी और इनर कोर का रोटेशन एक समान हो गया। अब इनर कोर का रोटेशन पृत्वी के घूर्णन से कम हो गया है।

पृथ्वी के इनर कोर के सायकल पर डॉ. विडेल के नेतृत्व में किए गए नए अध्ययन से पता चलता है कि घूर्णन गति में परिवर्तन 70 साल के चक्र का अनुसरण करता है। प्रोफेसर डॉ. जॉन विडेल का कहना है कि, "हम इस बारे में 20 साल से बहस कर रहे हैं, और मुझे लगता है कि यह सही है। मुझे लगता है कि, हमने इस बात पर बहस खत्म कर दी है कि क्या आंतरिक कोर गति करता है, और पिछले कुछ दशकों से इसका पैटर्न क्या रहा है।" इतने आत्मविश्वास के बावजूद, हर कोई इस बात से आश्वस्त नहीं है कि मामला सुलझ गया है। आंतरिक कोर की स्पीड में कमी और यह हमें कैसे प्रभावित कर सकती है, यह एक पेचीदा पहेली है। कुछ लोग इसे पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र (Earth magnetic field) से जोड़ते हैं।

इनर कोर और मैग्नेटिक फील्ड का क्या कनेक्शन :

अगर धरती की कल्पना एक बड़े मैग्नेटिक फील्ड के रूप में करें तो इसे चारों और के क्षेत्र को मेग्नेटिक फील्ड कहा जायेगा। इनर कोर भी धरती के इस मेग्नेटिक फील्ड से प्रभावित होगा क्योंकि इनर कोर एक मेटल बॉल है। अगर मेग्नेटिक फील्ड प्रभावित होगी तो उसका असर इनर कोर पर भी पड़ेगा।

आने वाले 10 सालों में दोबारा गति पकड़ेगा इनर कोर :

मैग्नेटिक फील्ड के प्रभाव से इनर कोर की गति में भी परिवर्तन आता रहता है। अलग-अलग समय पर भूकंपीय तरंगों के अध्ययन से भी इस बात का पता चला है।डॉ. विडेल और उनकी टीम का अनुमान है कि, लगभग 5 से 10 वर्षों में कोर फिर से गति करना शुरू कर देगा। इस तरह इनर कोर में आ रहे परिवर्तन से कोई बड़ा खतरा तो नजर नहीं आ रहा लेकिन वैज्ञानिक इस पर अब भी शोध कर रहे हैं।

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