आंदोलन में राजनेता : पूर्व आप नेता योगेंद्र यादव का किसान होने का दिखावा या कुछ और...
वेबडेस्क। कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन के सहारे कई राजनेता और राजनीतिक दल अपनी राजनीति को चमकाने का प्रयास कर रहे है। केंद्र सरकार को घेरने और सुर्ख़ियों में आने की राह ढूंढते राजनीतिक दलों और नेताओं को किसान आंदोलन के रुप में एक मुद्दा मिल गया है। अपने राजनीतिक हितों को साधने की चाह रखने वाले ये राजनीतिक दल और नेता किसी भी स्थिति में इस मौके को छोड़ना नहीं चाहते।
कथित किसान हितैषी नेताओं की सूची में योगेंद्र यादव का नाम आता है। आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता और स्वराज पार्टी के संस्थापक योगेंद्र यादव किसान आंदोलन शुरू होते ही सक्रिय नजर आ रहें है। वह आंदोलन में घुसपैठ कर सरकार के सामने किसानों का पक्ष रखने की कोशिश कर रहे है। हाल ही में आन्दोलन के बीच गृह मंत्री से मिलने गए किसान नेताओं के दल में भी उनका नाम सामने आया था लेकिन गृहविभाग ने उन्हें किसान नेता ना मानते हुए उनका नाम सूची से बाहर कर दिया।
अब सवाल ये उठता है की योगेंद्र यादव आखिर राजनेता होने के बाद भी सक्रीय होकर किसान नेता होने का दिखावा क्यों कर रहे हैं ? इसका सीधा जवाब यही है की आप नेता अरविन्द केजरीवाल द्वारा पार्टी से निकाले के जाने के बाद हाशिये पर आये अपने राजनितिक करियर को किसानों के सहारे शीर्ष पर ले जाना चाहते है। सरकार के मंत्री भी कह रहे हैं की विपक्ष द्वारा किसानों को भड़काया जा रहा है इसलिए किसान उचित निर्णय नहीं ले पा रहे।
दरअसल, किसी जमाने में पत्रकारिता से करियर शुरू करने वाले योगेंद्र यादव ने अन्ना आंदोलन के जरिये राजनीतिक जीवन में प्रवेश किया था। लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप नेता अरविन्द केजरीवाल से मतभेद के चलते उन्हें आप पार्टी से बाहर जाना पड़ा। आप से निकाले जाने के बाद उन्होंने उत्तर भारत की सभी राजनीतिक दलों के दरवाजे खटखटाये लेकिन उन्हें किसी दल में जगह नहीं मिली। जिसके बाद उन्होंने अपनी स्वराज इण्डिया पार्टी बना ली। कृषि कानूनों से जुड़े आंदोलन की आड़ में हरदम विरोध करने की मंशा लिए बैठ योगेंद्र यादव तो अपनी पार्टी को भी स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं।
किसान आंदोलन के सहारे वह पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में अपनी पार्टी के लिए जमीन तैयार करने का प्रयास कर रहे है। योगेंद्र यादव का नाम कई विवादों में रह चुका है। उनके खिलाफ कई प्रकरण दर्ज है। लोगों के बीच चर्चाएं हैं की जब तक ऐसे संदिग्ध इरादों वाले फर्जी किसान नेता सक्रिय हैं तब तक गतिरोध टूटना मुश्किल है। सोशल मीडिया पर तो यह भी कहा जा रहा है की आदतन अराजकतावादी योगेंद्र यादव पहले जेएनयू में फीस को लेकर छात्रों को बरगला रहे थे, फिर सीएए पर मुसलमानों को भड़काने में जुटे, अब किसानों को गुमराह कर रहे हैं।
सोशल मीडिया पर लोग कर रहे कटाक्ष
मोहित बाबू ने ट्वीट कर लिखा की - किसी भी आंदोलन में बिना बुलाये पहुँचकर, उस आंदोलन का पूरा क्रेडिट खुद को देने वाले योगेन्द्र यादव.! 😂