Vande Bharat Sleeper Train: 20 सितंबर को बेंगलुरु से चेन्नई पहुंचेगी पहली वंदे भारत स्लीपर ट्रेन, भारतीय रेलवे ने दी जानकारी

हाल ही में वंदे भारत स्लीपर ट्रेन को लेकर अपडेट सामने आई है जिसमें सितम्बर महीने से ट्रेन में यात्रा का तोहफा मिलेगा। भारतीय रेलवे ने इसे लेकर जानकारी दी है।

Update: 2024-08-24 15:34 GMT

Vande Bharat Sleeper Train : भारतीय रेलवे द्वारा समय - समय पर यात्रियों को सेवाएं दी जाती है। एक्सप्रेस ट्रेनों के साथ वंदे भारत ट्रेनें लगातार चल रही है। हाल ही में वंदे भारत स्लीपर ट्रेन को लेकर अपडेट सामने आई है जिसमें सितम्बर महीने से ट्रेन में यात्रा का तोहफा मिलेगा। भारतीय रेलवे ने इसे लेकर जानकारी दी है।

वंदे भारत की तीसरी सीरीज है स्लीपर ट्रेन

आपको बताते चलें कि, वंदे भारत ट्रेन के साथ स्लीपर और मेट्रो की घोषणा हो चुकी हैं। इंटीग्रल कोच फैक्ट्री, चेन्नई के जीएम यू सुब्बा राव ने मनी कंट्रोल को बताया कि 20 सितंबर को भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (Bharat Earth Movers) के बेंगलुरु प्लांट से पहली वंदे भारत स्लीपर ट्रेन रवाना हो जाएगी। यह ट्रेन चेन्नई पहुंचेगी इसके बाद लगभग 20 दिनों में फाइनल टेस्टिंग खत्म हो जाएगी, फिर यह लगभग दो महीने तक हाई स्पीड टेस्ट से गुजरेगी। फिर दिसंबर में यह चलने के लिए तैयार हो जाएगी।

हर बर्थ मिलेगा चार्जिंग सॉकेट

वंदे भारत स्लीपर ट्रेन कई सुविधाओं से लैस रहेगी जिसमें बड़ी ट्रेनों के जैसा फायदा मिलेगा। इस ट्रेन में हर बर्थ पर रीडिंग लाइट, चार्जिंग सॉकेट, मोबाइल होल्डर और स्नैक टेबल जैसी आधुनिक सुविधाएं होंगी।इसमें दुर्घटना रोकने वाला कवच सिस्टम भी लगा होगा. इसकी पेंट्री आधुनिक होगी. साथ ही आग से बचाने के बेहतर इंतजाम भी होंगे. दिव्यांगों के लिए यह ट्रेन सुविधाजनक होगी. साथ ही पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम और लगेज रूम भी इसमें दिया जाएगा।यह ट्रेन यूरोप में चलने वाली ट्रेनों के जैसी होगी. इसके फ्लोर में भी एलईडी लाइट लगी होगी ताकि लोग रात में आराम से टॉयलेट जा सकें।

जानिए कहां बन स्लीपर ट्रेन के कोच 

आपको बताते चलें कि, यह स्लीपर ट्रेन 160 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलेगी। वहीं ट्रेन की बनावट की बात की जाए तो इसमें 823 बर्थ होंगी जिसमें 3एसी के 11 कोच (611 सीट), 2एसी के 4 कोच (188 सीट) और 1एसी का एक डिब्बा (24 सीट) होगा। बताया जा रहा है, बीएचईएल टीटागढ़ (BHEL-Titagarh) 80 ट्रेन और रेल विकास निगम (Rail Vikas Nigam) 120 ट्रेन बनाकर रेलवे को देंगे।


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