कृष्णमय होगा मध्यप्रदेश: MP के हर नगरीय निकाय में बनेगा गीता भवन, ब्लॉक के एक गांव को बरसाना के नाम से जाना जाएगा

Update: 2024-08-25 08:40 GMT

इंदौर। जन्माष्टमी से पहले पूरा मध्यप्रदेश कृष्णमय हो गया है। पहले सीएम डॉ. मोहन यादव ने मध्यप्रदेश में श्री कृष्ण से जुड़े चार पवित्र स्थलों को तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणा की थी अब सीएम ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि, मध्यप्रदेश के प्रत्येक नगरीय निकाय में गीता भवन बनाए जाएंगे। यही नहीं मध्यप्रदेश में ब्लॉक स्तर पर कम से कम एक गांव को बरसाना के नाम से भी जाना जाएगा।

दशहरा मैदान, इंदौर में आयोजित श्रीकृष्ण पर्व जन्माष्टमी महोत्स कार्यक्रम में मुख्यमंत्री मोहन यादव शामिल हुए थे। उन्होंने यहां घोषणा की कि, हर घर कृष्ण हो, हर मां यशोदा बने इसलिए हमने तय किया है कि, शहरी क्षेत्र में नगरीय निकाय के माध्यम से गीता भवन की स्थापना की जाएगी। गीता भवन में धार्मिक गतिविधि के साथ, ज्ञान चर्चा, परिचर्चा और साहित्य चर्चा - सभी प्रकार के केंद्र बनेंगे।"

सीएम यादव ने आगे कहा कि, "ऐसा माना जाता है कि, मध्यप्रदेश में प्राचीन समय में दूध - दही की नदियां बहती थी। इसी की तर्ज पर मथुरा के बरसाना की तरह मध्यप्रदेश में हमारे यहाँ ब्लॉक के कम से कम एक गाँव को बरसाना के नाम से जाना जाएगा। यहां सभी आदर्श स्थापित किए जाएंगे। स्कूल से लेकर खेल के मैदान तक सभी व्यवस्थाएं गांव में हों ऐसे कार्य किए जाएंगे।"

मध्यप्रदेश में ये स्थान बनेंगे श्री कृष्ण तीर्थ स्थल :

सांदीपनि आश्रम :

उज्जैन अपने राजनीतिक और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। महाभारत काल की शुरुआत में उज्जैन शिक्षा का केंद्र भी था। भगवान श्री कृष्ण और बलराम ने गुरु उज्जैन के सांदीपनि के आश्रम में शिक्षा प्राप्त की थी। कथाओं के अनुसार आज से लगभग 55,00 साल पहले भगवान श्री कृष्ण और बलराम ने गुरु सांदीपनि के आश्रम में 64 दिन में 64 कलाएं सीखी थीं।

गुरु सांदीपनि कश्यप गोत्र में जन्मे ब्राह्मण थे। उन्होंने भगवान श्री कृष्ण को 64 कलाओं समेत वेद - पुराण का ज्ञान दिया था। वैष्णव सम्प्रदाय को मानने वालों के लिए इस आश्रम का विशेष महत्त्व है। महर्षि सांदीपनि का यह आश्रम मंगलनाथ रोड पर स्थित है।

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सांदीपनि आश्रम

नारायण धाम :

नारायण धाम, भगवान श्री कृष्ण और उनके परम मित्र सुदामा का मंदिर है। यहां कृष्ण और सुदामा को पूजा जाता है। उज्जैन से 35 किलोमीटर दूर आगरा रोड पर जैथल में एक गांव है। यहीं यह मंदिर स्थित है। अतिप्राचीन इस मंदिर को कृष्ण - सुदामा धाम के नाम से भी जाना जाता है। जन्माष्टमी के दिन तो यहां मेला लगता है। इस मेले में लाखों की संख्या में लोग आते हैं।

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नारायण धाम

अमझेरा धाम :

अमझेरा धाम धार जिले में बसा कस्बा है। यही वह जगह है जहां से भगवान श्रीकृष्ण ने देवी रुक्मणी का हरण किया था। मान्यता है कि मंदिर के पीछे बनी नाली नुमा निशाल द्वारकाधीर भगवान श्री कृष्ण के रथ के पहियों के निशान है। भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में आकर दर्शन करने से हर कामना पूरी होती है। जन्माष्टमी पर यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है।

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अमझेरा धाम

जानापाव धाम :

जानापाव को जानापाव कुटी भी कहा जाता है। यह 881 मीटर की ऊँचाई पर एक पर्वत है जो इंदौर-मुंबई राजमार्ग पर स्थित है। जानापाव धाम इंदौर से 45 किलोमीटर दूर है। यह पहाड़ घने जंगलों से घिरा हुआ है और मालवा क्षेत्र का दूसरा सबसे ऊंचा स्थान माना जाता है। जानापाव महर्षि परशुराम जी की जन्म स्थली है। माना जाता है कि, भगवान श्री कृष्ण जब परशुराम जी से मिलने यहां आए थे तो उन्हें परशुराम जी ने सुदर्शन चक्र दिया था।

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जानापाव धाम

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