हरक सिंह को मनाने के प्रयास विफल, उत्तराखंड मंत्रिमंडल से बर्खास्त, कांग्रेस में होंगे शामिल

Update: 2022-01-17 07:04 GMT

देहरादून। उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रस्ताव पर कबीना मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत को मंत्रिमण्डल की सदस्यता से पदमुक्त करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। मंत्री को आवंटित सभी विभाग अब मुख्यमंत्री के पास अतिरिक्त प्रभार के रूप में रहेंगे।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह को मंत्री, वन, पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन, श्रम, कौशल विकास एवं सेवायोजन, आयुष एवं आयुष शिक्षा तथा ऊर्जा विभाग डॉ. हरक सिंह रावत को तत्काल प्रभाव से पदमुक्त करने का प्रस्ताव भेजा था। जिसे राज्यपाल ने अपनी स्वीकृत प्रदान करते हुए डॉ. हरक सिंह रावत को आवंटित विषय, विभाग अग्रिम आदेशों तक मुख्यमंत्री को अतिरिक्त प्रभार के रूप आवंटित करने का अधिसूचनावों को अनुमोदित कर आदेश दिए हैं। इसके तहत अधिसूचना संख्या-2/2/xx1/2021, 06 जुलाई 2021 एवं समसंख्यक अधिसूचना, 11 अक्टूबर, 2021 तदनुसार संशोधित समझी जाएगी।

हरक को मनाने के प्रयास विफल - 

डॉ हरक सिंह रावत अपने जिद पर अड़े हुए थे। वे अपनी बहू अनुकृति गुसाईं को टिकट दिलाने से कम पर मानने को तैयार नहीं थे। इन्हें मनाने के लिए भाजपा ने वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को जिम्मेदारी सौंपी। उन्होंने मनाने का भरसक प्रयास किया। केंद्रीय नेताओं ने उनसे बात की, लेकिन हरक जिद पर अड़े रहे। वे कांग्रेस में जाने का मन बना चुके थे। आखिरकार पार्टी ने उन्हें बर्खास्त कर दिया।

 दबाव की राजनीति के लिए मशहूर - 

पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ हरक सिंह रावत उत्तराखंड की राजनीति में बड़े खिलाड़ी माने जाते हैं। भाजपा से राजनीतिक यात्रा शुरू करने वाले हरक सिंह बसपा, कांग्रेस होते हुए 2016 में जब भाजपा में वापसी की तो कई राजनीतिक पंडित का मानना था कि अब वे ''कमल'' का होकर रहेंगे, लेकिन वे अपने मन मिजाज के मुताबिक यहां भी स्थिर नहीं रहे। वे कई बार अपनी ही सरकार के खिलाफ बोलते रहे। सिर्फ इसलिए कि सरकार पर उनका दबदबा बना रहे।

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