लोकसभा में उठा यूनियन कार्बाइड का मुद्दा, केंद्र से 126 करोड़ मिलने के बाद भी नहीं उठ पाया कचरा ?

लोकसभा में शून्यकाल के दौरान आलोक शर्मा ने कहा मैं एक बार फिर 2-3 दिसंबर की रात को हुई दुनिया की सबसे भीषणतम त्रासदी की तरफ़ सदन का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं।

Update: 2024-07-30 10:26 GMT

नई दिल्ली। 3 दिसंबर 1984 गैस त्रासदी के 40 साल बीत जाने के बाद भी इसका मामला शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। संसद में 40 साल से पडे़ जहरीले कचरे का निष्पादन ना होने का मामला उठाया गया है। इस मामले पर भोपाल सांसद आलोक शर्मा ने कहा कि मैंने 2-3 दिसंबर की रात को हुई दुनिया की सबसे भीषणतम त्रासदी को झेला है। ये देश का महत्वपूर्ण मुद्दा है।


लोकसभा में शून्यकाल के दौरान आलोक शर्मा ने कहा मैं एक बार फिर 2-3 दिसंबर की रात को हुई दुनिया की सबसे भीषणतम त्रासदी की तरफ़ सदन का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। यह भोपाल ही नहीं बल्कि समूचे देश का मुद्दा है। उस आधी रात में सभी लोग सो रहे थे किसी को भनक नहीं थी कि कुछ होने वाला है। रात 1 बजे के करीब सोते समय अचानक लोगों को खांसी होने लगी और इस घटना में हजारों लोग मौत की आगोश में सो गए थे। उस मौत के मंजर को मैंने अपनी आंखों से देखा है।


40 साल बाद भी कचरे का निष्पादन नहीं हो पाया

आलोक शर्मा ने कहा कि आज भी वहां पर जहरीला कचरा मौजूद है। उस कचरे का निष्पादन नहीं हो पाया है। वहां कीटनाशक दवाइयां बनाने वाली बहुराष्ट्रीय अमेरिकन कंपनी यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड का 337 मेट्रिक टन कचरा निष्पादन के लिए बचा हुआ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में गठित ओवरसाइड कमेटी ने 126 करोड रुपए की धनराशि यूनियन कार्बाइड के कचरे के निष्पादन के लिए मार्च 2023 में उपलब्ध करा दी गई 1 साल से ज्यादा समय बीत गया। लेकिन कचरे का निष्पादन नहीं हो पाया। मंत्री जी जल्दी यह निर्देश दें कि 126 करोड रुपए की धनराशि कचरा निष्पादन के लिए उपलब्ध करा दी गई है तो वहां के कचरे का शीघ्र निष्पादन होना चाहिए।



कहां होगा जहरीले कचरे का निष्पादन

जानकारी के मुताबिक, यूनियन कार्बाइड के कचरे के निष्पादन करने की जगह ढूंढ ली गई है। 337 टन जहरीले कचरे का निपटान इंदौर के पीथमपुर स्थित ट्रीटमेंट स्टोरेज डिस्पोजल फैसिलिटी में होना है। बता दें कि इसके पहले भी इसके निष्पादन के लिए किया गया परिक्षण फेल हो चुका है। इसको लेकर 6 परिक्षण किए जा चुके हैं। जानकारों की माने तो इसमें अत्यधिक जहरीले रसायनों का उत्सर्जन हुआ है, अगर इन बातों का ध्यान नहीं रखा गया तो कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी भी हो सकती है।

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