नईदिल्ली। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण कल बुधवार 1 फरवरी 2023 को आम बजट पेश करेंगी। यह लगातार चौथा मौका है जब वित्तमंत्री संसद में बजट पेश करेंगी। हर साल पेश होने वाला बजट देश के लिए सबसे अहम होता है क्योंकि इसके जरिए सरकार देश की कमाई और खर्च का लेखा जोखा और भविष्य में देश के विकास की योजना पेश करती है। इसके तहत अलग-अलग विकास कार्यों के लिए अलग-अलग मंत्रालयों को धन आवंटित किया जाता है। ये सभी बातें वह है जो आमतौर पर सभी जानते है लेकिन आज हम आपको बजट से जुड़ी वह बातें बताने जा रहे है, जिनके विषय में आपने शायद ही सुना या पढ़ा होगा।
बजट से जुड़े रोचक तथ्य -
बजट संख्या -
आजादी से लेकर अब तक कुल 73 आम बजट, 14 अंतरिम बजट और 4 स्पेशल या मिनी बजट पेश हो चुके है।
पहला बजट
भारत में बजट पेश करने की परंपरा साल 1860 से शुरू हुई है। उस समय ईस्ट इंडिया कंपनी के राजनेता जेम्स विल्सन ने 7 अप्रैल 1860 को ब्रिटिश क्राउन के समक्ष पेश किया था। आजादी के बाद भारत का पहला बजट 26 नवंबर 1947 को तत्कालीन वित्त मंत्री आर के षणमुखम चेट्टी ने पेश किया था।चेट्टी ने 1947 से 1948 तक भारत के पहले वित्त मंत्री के रूप में काम किया था।
भाषा में बदलाव -
स्वतंत्रता के बाद से साल 1955 तक बजट सिर्फ अंग्रेजी भाषा में पेश किया जाता था। तत्कालीन सरकार ने औपनिवेशिक युग की इस परंपरा को खत्म करते हु बजट पत्र को हिंदी भाषा में प्रिंट करने का निर्णय लिया।
समय में बदलाव -
स्वतंत्रता के बाद से लेकर साल 1999 तक बजट फरवरी के आखिरी कार्यदिवस के दिन शाम पांच बजे तक पेश किया जाता था। ये परंपरा अंग्रेजों के समय से चली आ रही थी। इसे साल 1999 में तत्कालीन वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने बदल दिया। उन्होंने बजट पेश करने का समय बदलकर सुबह 11 बजे कर दिया। इसके बाद साल 2016 में तत्कालीन वित्तमंत्री अरुण जेटली ने फरवरी के आखिरी कार्यदिवस की जगह फरवरी माह की पहले कार्यदिवस को पेश कर औपनिवेशिक युग की परंपरा को खत्म कर दिया।
सबसे छोटा बजट भाषण -
साल 1977 में तत्कालीन वित्त मंत्री हीरुभाई मुलजीभाई पटेल ने भारतीय इतिहास का अब तक का सबसे छोटा बजट भाषण पढ़ा था। उनके बजट में सिर्फ 800 शब्द थे।
सबसे लंबा बजट भाषण -
वर्तमान केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2020 को सबसे लंबा बजट भाषण दिया था। उन्होंने केंद्रीय बजट 2020-21 पेश करते हुए 2 घंटे 42 मिनट तक सबसे लंबा भाषण देने का रिकॉर्ड बनाया है।
काला बजट -
देश का पहला और एकमात्र काला बजट इन्दिरा गांधी की सरकार में साल 1973 में पेश किया गया था। तत्कालीन वित्तमंत्री यशवंतराव बी चव्हाण ने इसे पेश किया था। उस दौरान राजकोषीय घाटा रूपए 550 करोड़ था। जिसके कारण इसे काला बजट कहा गया था।
रेलवे बजट -
साल 2017 तक रेलवे बजट को आम बजट से अलग पेश किया जाता था। 2017 में रेल बजट को केंद्रीय बजट में मिलाकर एक साथ पेश किया गया और अब सिर्फ एक बजट ही पेश किया जाता है।
पेपर लेस बजट -
देश में पहली बार बार कोविड -19 महामारी के दौरान 2021-22 के लिए पेपरलेस बजट पेश किया था।वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे पेश किया था।
बही खाता -
साल 2019 से पहले तक बजट को बही खाते के रूप में एक सूटकेस में रखकर संसद लाया जाता था। साल 2019 में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस परंपरा को तोड़ते हुए एक फाइल को लाल कपड़े में लपेटकर संसद पहुंची। इसे ही बजट कहा गया।