National Space Day 2024: चंद्रयान-3 में दुनिया ने देखा उत्तर प्रदेश के होनहार वैज्ञानिकों का कमाल...

लखनऊ की ऋतु करिधाल, फिरोजाबाद के धर्मेंद्र यादव, मिर्जापुर के आलोक पांडेय, फतेहपुर के सुमित कुमार थे मिशन के हमराही

Update: 2024-08-23 08:59 GMT

लखनऊ। भारत के लिए 23 अगस्त का दिन हमेशा यादगार रहेगा, जब चंद्रयान-3 ने चांद की सतह पर लैंड कर इतिहास रचा। इस मिशन को सफल बनाने में दुनिया ने यूपी के कई वैज्ञानिकों का कमाल देखा और महसूस किया। इसमें से किसी ने एडवांस कैमरा तो किसी ने सॉफ्टवेयर। किसी पर लॉन्चिंग की जिम्मेदारी थी तो किसी ने लैंडिंग में अहम भूमिका निभाई। लखनऊ की ऋतु करिधाल, फिरोजाबाद के धर्मेंद्र प्रताप यादव, मिर्जापुर के आलोक पांडेय, फतेहपुर के सुमित कुमार और उन्नाव के आशीष मिश्रा का नाम शामिल हैं। आज का दिन इन सभी युवा वैज्ञानिकों के योगदान को स्मरण करने का दिन है।

लखनऊ की वैज्ञानिक डॉ.ऋतु करिधाल: भारतीय वैज्ञानिक और एयरोस्पेस इंजीनियर रितु करिधाल श्रीवास्तव विशाल चंद्रयान-3 मिशन के पीछे अग्रणी महिला हैं। 'रॉकेट वूमन ऑफ इंडिया' के नाम से मशहूर रितु करिधाल ने चंद्रयान-2, मंगलयान और भारत के मार्स ऑर्बिटर मिशन (एमओएम) सहित कुछ प्रमुख अंतरिक्ष मिशनों का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया है।रितु करिधाल श्रीवास्तव भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं। उनका जन्म लखनऊ में हुआ और उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से पढ़ाई पूरी की। करिधाल ने लखनऊ विश्वविद्यालय से भौतिकी में विज्ञान स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने भौतिकी विभाग से ही शोध में दाखिला लिया। बाद में उन्होंने उसी विभाग में पढ़ाया और एक शोध विद्वान के रूप में 6 महीने बिताए।

डॉ.ऋतु करिधाल

फतेहपुर के वैज्ञानिक सुमित कुमार: चंद्रयान-3 में लगे कैमरे को वैज्ञानिक सुमित कुमार ने डिजाइन किया है। सुमित कुमार फतेहपुर के रहने वाले हैं और साल 2008 से इसरो के अहमदाबाद केंद्र में काम कर रहे हैं। सालों के अथक प्रयास के बाद उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर अत्याधुनिक कैमरा डिजाइन किया। यह कैमरा चंद्रयान के लैंडर और रोवर में लगा है।

उन्नाव के वैज्ञानिक आशीष मिश्रा: चंद्रयान 3 के लॉन्चिंग से लेकर लैंडर प्रोपल्शन सिस्टम के डेवलपमेंट में वैज्ञानिक आशीष मिश्रा ने काम किया। आशीष उन्नाव के रहने वाले हैं और साल 2008 से इसरो में अपनी सेवा दे रहे हैं। वे पीएसएलवी, जीएसएलवी और एलवीएम-3 में भी अपना योगदान दे चुके हैं। आशीष ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग में अहम भूमिका निभाई।

फिरोजाबाद के वैज्ञानिक धर्मेंद्र यादव: चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग टीम में फिरोजाबाद के धर्मेंद्र प्रताप यादव शामिल थे। धर्मेंद्र इसरो में वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। धर्मेंद्र यादव टिकरी गांव के रहने वाले हैं। चंद्रयान-3 मिशन में वैज्ञानिक धर्मेंद्र यादव का मुख्य कार्य चंद्रयान से सिग्नल प्राप्त करने का था।

मिर्जापुर के वैज्ञानिक आलोक पांडेय: चंद्रयान-3 की लैंडिंग में मिर्जापुर के वैज्ञानिक आलोक पांडेय ने अहम भूमिका निभाई। आलोक पर चंद्रयान की लैंडिंग और कंट्रोल की जिम्मेदारी भी थी। आलोक ने मंगलयान-2 मिशन में अहम भूमिका निभाई थी, उनके कार्य को देखते हुए उन्हें उत्कृष्ट वैज्ञानिक पुरस्कार दिया गया। आलोक को चंद्रयान-3 की चांद पर लैंडिंग और कम्यूनिकेशन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

मुरादाबाद से तीन वैज्ञानिक: चंद्रयान-3 मिशन में मुरादाबाद के तीन वैज्ञानिकों का योगदान था। इनमें वैज्ञानिक मेघ भटनागर, रजत प्रताप सिंह और अनीश रमन सक्सेना का नाम शामिल है। वैज्ञानिक मेघ भटनागर पर चंद्रयान-3 के ऑनबोर्ड सॉफ्टवेयर के क्वालिटी कंट्रोल की जिम्मेदारी थी। वैज्ञानिक रजत प्रताप सिंह ने चंद्रयान को पृथ्वी की कक्षा में पहुंचाने वाले रॉकेट को संचालित करने की जिम्मेदारी संभाली। वैज्ञानिक अनीश रमन सक्सेना चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 में भी काम कर चुके हैं।

प्रयागराज के वैज्ञानिक हरिशंकर गुप्ता: प्रयागराज के हरिशंकर गुप्ता ने चंद्रयान-3 के लिए हेजार्ड डिटेक्शन मैकेनिज्म बनाया। इससे चंद्रयान-3 को चांद की सतह पर सुरक्षित उतारने में मदद मिली। इस मैकेनिज्म से चांद की सतह पर गड्ढों का पता लगाया जा सका और लैंडर को सुरक्षित स्थान पर उतारा गया।

प्रतापगढ़ के वैज्ञानिक रवि केसरवानी: चंद्रयान-3 में शेप नया उपकरण जोड़ा गया था। इसकी मदद से चंद्रयान को प्रकाश मिला। चंद्रयान-2 में यह उपकरण नहीं था। इसलिए चंद्रयान को चंद्रमा से ही प्रकाश लेना पड़ता था। इस उपकरण को प्रतापगढ़ के रवि केसरवानी की टीम ने बनाया। उनके पिता कुंडा में रहते हैं।

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