भारतीय कोरोना वैक्सीन पर सवाल उठाने से पहले जानें भारत में टीकाकरण का इतिहास

Update: 2021-05-27 13:21 GMT

वेबडेस्क। चीन के वुहान शहर से फैला कोरोना वायरस पूरे विश्व में महमारी बन गया है। इसकी दोनों लहरों ने भारत सहित विश्व के कई देशों को प्रभावित किया है। वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं महीनों के शोध रंग लाएं और इस आपदा से निपटने के लिए रिकार्ड समय में वैक्सीन मिल गई। जो इस बीमारी से बचाव के उपायों में सबसे अधिक कारगर सिद्ध हो रही है।विश्व के अन्य देशों के साथ भारत में भारत बायोटेक ने बेहद कम समय में स्वदेशी वैक्सीन उपलब्ध करा दी है। 

भारत में आज तीन कंपनियों की वैक्सीनें लगाई जा रही है, जोकि किसी महामारी या बीमारी के आने के बाद सबसे कम समय में मिलने का एक रिकार्ड है।  इसके बावजूद विपक्ष और उसके बहकावे में आकर कुछ लोग प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार पर वैक्सीन की उपलब्धता को लेकर सवाल उठा रहे है। ऐसे लोगों के लिए जरूरी है की वे इसे पहले भारत में आई वैक्सीनों का इतिहास जान लें।  

भारत में वैक्सीन का इतिहास - 

जापानी बुख़ार की वैक्सीन

दुनिया मे 1930 

भारत मे 2013

नोट : - विश्व में आने के 80 साल और आजादी के 67 साल बाद मिली।  

हेपेटाइटिस B की वैक्सीन

दुनिया में 1982

भारत में 2002

नोट : - अन्य देशों की तुलना में 20 साल बाद भारत को मिली वैक्सीन 

पोलियो की वैक्सीन

दुनिया में 1955

भारत में1978

नोट : - दुनिया के अन्य देशों की तुलना में 23 साल बाद भारत को उपलब्ध हुई।  

टेटनस की वैक्सीन

दुनिया में 1924

भारत में 1978

नोट : - विश्व के अन्य देशों की तुलना में भारत में 54 साल बाद ये वैक्सीन आई। 

कोविड 19 की वैक्सीन

दुनिया में दिसम्बर 2020 में 

भारत में जनवरी. 2021 

नोट : - मोदी सरकार के प्रयासों से वैज्ञानिकों को विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराई गयीं। ट्रायल्स में सफल होने के एक माह बाद ही भारत में टीकाकरण अभियान शुरू हो गया।  

विश्व के साथ टीकाकरण -  

देश में पहली बार ऐसा हुआ है की भारत में विश्व के अन्य देशों के साथ ही टीकाकरण अभियान चल रहा है। वर्तमान में सीरम की कोविशील्ड, रूसी वैक्सीन स्पुतनिक के साथ स्वदेशी वैक्सीन को वैक्सीन भी लगाईं जा रही है। इससे पहले वाली सरकारें WHO के सामने हाथ फैलाये खड़ी रहती थी। जब समूचे यूरोप और अमेरिका में टीकाकरण अभियान पूरा हो जाता था, तब हमें मिलती थी। ऐसे में लंबे समय तक लाखों लोग बीमारी से ग्रस्त होकर मरते रहते थे। सबसे अहम बात ये है इन देशों में भारतीय वैज्ञानिक ही टीकों का निर्माण करते थे।  

आज जब भारत महामारी फैलने के बाद रिकार्ड समय लोगों को वैक्सीन उपलब्ध कराने के साथ अन्य देशों को बांटने में भी सक्षम हो गया है।  तब इसकी सराहना करने के स्थान पर भारत के मीडिया का वामपंथी वर्ग ये बताने में जी जान से जुटा हुआ है कि इस सरकार ने सब कुछ बर्बाद कर दिया सोचनीय विषय।

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