नौसेना की 3 गुना बढ़ी ताकत, बेड़े में शामिल हुआ रासायनिक युद्ध में सक्षम 'मोरमुगाओ'

हिंद महासागर के समुद्री क्षेत्र में भारत की भूमिका निभाने में सक्षम होगी नौसेना

Update: 2022-12-18 08:04 GMT

नईदिल्ली।  आधुनिक हथियारों से लैस परमाणु, जैविक और रासायनिक युद्ध में सक्षम 'मोरमुगाओ' जहाज रविवार को औपचारिक रूप से भारतीय नौसेना की नई ताकत बन गया। प्रोजेक्ट 15 बी के तहत बनाया गया स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक का दूसरा जहाज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नौसेना के बेड़े में शामिल किया। हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों के बीच इस युद्धपोत का भारत की समुद्री सेना में शामिल होना महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस युद्धपोत के नौसेना में शामिल होने के बाद भारत की ताकत तीन गुना बढ़ जाएगी। 

नौसेना के बेड़े में शामिल करने का कार्यक्रम मुम्बई के नौसेना डॉकयार्ड में किया गया। प्रोजेक्ट 15 बी के तहत चार जहाजों के लिए 28 जनवरी, 2011 को मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस परियोजना का पहला जहाज आईएनएस विशाखापत्तनम पिछले साल 21 नवंबर को भारतीय नौसेना में कमीशन किया जा चुका है। आईएनएस मोरमुगाओ प्रोजेक्ट-15 बी श्रेणी का दूसरा स्वदेशी स्टील्थ विध्वंसक है। स्वदेशी तकनीक से बने युद्धपोत को पिछले साल 19 दिसंबर को परीक्षण के लिए समुद्र में उतारा गया था। 

इस स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर में अनगिनत खूबियां हैं, क्योंकि इसे आधुनिक युद्ध के लिए बनाया गया है। इस जहाज की डिजाइन भारतीय नौसेना के स्वदेशी संगठन ने तैयार की है तथा निर्माण मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने किया है। प्रमुख ओईएम के साथ बीईएल, एल-एंड-टी, गोदरेज, मैरीन इलेक्ट्रिकल ब्रह्मोस, टेक्नीको, काइनको, जीत-एंड-जीत, सुषमा मैरीन, टेक्नो प्रॉसेस आदि जैसे छोटे एमएसएमई ने भी इस विशाल मोरमुगाओ को बनाने में अपना योगदान दिया है। इस पोत में लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा पूर्ण रूप से स्वदेशी है और इसे 'आत्मनिर्भर भारत' के तहत निर्मित किया गया है। 

इस शानदार पोत की लंबाई 163 मीटर, चौड़ाई 17 मीटर और वजन 7400 टन है। इसकी गिनती भारत में निर्मित सबसे घातक युद्धपोतों में होती है। पोत को शक्तिशाली चार गैस टर्बाइनों से गति मिलती है। इस वजह से यह पलक झपकते ही 48 समुद्री मील तक की गति पकड़ सकता है। इसकी बाहरी परत को स्पेशल स्टील से बनाया गया है, इसलिए दुश्मन का रडार भी इस पोत को आसानी से नहीं पकड़ सकता। मोरमुगाओ 'उत्कृष्ट' हथियारों और दूरसंवेदी उपकरणों से लैस है। इसमें जमीन से जमीन पर तथा जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलें लगी हैं।

पोत में लगा आधुनिक निगरानी रडार लक्ष्य के बारे में सीधे तोप प्रणाली को सूचित कर देता है। पोत की पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताओं को देश में ही विकसित किया गया है। जहाज में लगे अनेक उपकरणों का स्वदेशीकरण किया गया है, जिनमें जमीन से जमीन व जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, तारपीडो ट्यूब्स और लॉन्चर, पनडुब्बी रोधी रॉकेट लॉन्चर, एकीकृत प्लेटफॉर्म प्रबंधन प्रणाली, स्वचलित ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली, फोल्डेबल हैंगर डोर, हेलो ट्रैवर्सिंग प्रणाली, क्लोज-इन युद्धक प्रणाली तथा पोत के अग्र भाग पर लगी सोनार प्रणाली है। यह पोत आणविक, जैविक और रासायनिक युद्ध परिस्थितियों से लड़ने में सक्षम है।

संयोग से यह पोत पहली बार 19 दिसंबर, 2021 को उस दिन समुद्र में उतरा था, जिस दिन पुर्तगाली शासन से गोआ की मुक्ति के 60 वर्ष पूरे हुए थे। गोआ मुक्ति दिवस की पूर्व संध्या पर 18 दिसंबर को पोत को नौसेना के बेड़े में शामिल किए जाने से भारतीय नौसेना हिंद महासागर व उसके आगे के समुद्री क्षेत्र में अपना दायित्व और भूमिका निभाने में सक्षम होगी। इस जहाज का नाम गोवा के समुद्री क्षेत्र मोरमुगाओ को समर्पित करने से न केवल भारतीय नौसेना और गोवा के लोगों के बीच संबंध में वृद्धि होगी, बल्कि जहाज की पहचान को स्थायी रूप से राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका से भी जोड़ा जाएगा।

समारोह में नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा कि स्वदेशी युद्धपोत निर्माण के इतिहास में आज का दिन एक और मील का पत्थर है, क्योंकि हमने विध्वंसक मोरमुगाओ को कमीशन किया है। यह उपलब्धि पिछले दशक में युद्धपोत डिजाइन और निर्माण क्षमता में नौसेना के बड़े कदमों का संकेत है। नौसेना में शहरों के नाम पर जहाजों के नाम रखने की परंपरा है, जो दोनों के बीच एक स्थायी कड़ी बनाती है। समारोह में भारतीय सैन्य बलों के प्रमुख (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार, गोवा के राज्यपाल पी एस श्रीधरन पिल्लई, गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत और अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।

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