भोजशाला पर जैन समाज ने भी किया दावा, इंदौर हाई कोर्ट में लगाई याचिका, 4 जुलाई को सुनवाई संभव
Bhojshala : जैन समाज के लोगों का दावा है कि, यह भोजशाला जैन गुरुकुल था।
इंदौर, मध्यप्रदेश। भोजशाला (Bhojshala) को लेकर अभी पुराना विवाद खत्म नहीं हुआ था कि, दूसरा विवाद शुरू हो गया। भोजशाला पर हिन्दुओं के बाद अब जैन समाज के लोगों ने भी हक़ जताया है। इस मामले को लेकर मध्यप्रदेश हाई कोर्ट (Madhya Pradesh High Court) की इंदौर बेंच के समक्ष याचिका दायर की गई है। कोर्ट याचिका पर सुनवाई के लिए राजी हो गया है। चार जुलाई को इस मामले की सुनवाई हो सकती है।
भोजशाला में एएसआई (ASI) की टीम पिछले 98 दिनों से सर्वेक्षण कर रही थी। दावा है कि, इस सर्वेक्षण के दौरान खुदाई में जैन तीर्थंकरों की मूर्तियां निकली थी। जैन समाज के लोगों का दावा है कि, यह भोजशाला जैन गुरुकुल था। विश्व जैन संगठन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सलेक चंद जैन ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है।
जैन शिलालेख और जैन देवियों की मूर्तियां :
याचिका में दावा किया गया है कि, जैन धर्म से संबंधित अंबिका देवी के साथ - साथ जैन गुरुकुल होने के प्रमाण एएसआई सर्वे में मिले हैं। इन मूर्तियों के जैन धर्म से संबंधित होने का शिलालेख ब्रिटेन के म्यूजियम में है। याचिका में कहा गया है कि, इन मूर्तियों को हिन्दू पक्ष देवी सरस्वती की मूर्ती बता रहे हैं जो गलत है।
विवादों में भोजशाला :
भोजशाला पर पहले ही हिन्दू और मुस्लिम पक्ष के बीच विवाद चल रहा है। मुस्लिम इसे कलाम मौला मस्जिद कहते हैं और हिन्दू इसे वाग्देवी का प्राचीन मंदिर। हाई कोर्ट ने इस मामले में जांच के लिए एएसआई सर्वे के आदेश दिए थे। 98 दिन तक सर्वे चला था अब दो जुलाई को कोर्ट में एएसआई रिपोर्ट पेश करेगा। इसके बाद ही यह पता चलेगा कि, भोजशाला का धार्मिक कैरेक्टर क्या है।