जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत के अभिन्न अंग थे, हैं और रहेंगे : विदेश मंत्रालय
नई दिल्ली। लद्दाख पर चीन की ओर से की गई टिप्पणी का भारत ने करारा जवाब दिया है। गुरुवार को विदेश मंत्रालय ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत के अभिन्न अंग थे, हैं और रहेंगे। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि हम उम्मीद करते हैं कि देश भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी नहीं करेंगे, जैसा कि वे दूसरों को इस तरह की उम्मीद करते हैं। चीन के पास भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है।
बता दें कि लद्दाख सहित सीमा क्षेत्रों में नए पुलों के निर्माण से चीन की बेचैनी और बढ़ गई है। अपनी सीमा में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित कर चुके चीन को भारत की ओर से भी ऐसा करना हजम नहीं हो रहा है। चीनी विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि वे सैन्य निरीक्षण और नियंत्रण के उद्देश्य से इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास का विरोध करते हैं।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिजियान ने भारत द्वारा सीमा पर बनाए गए पुलों को लेकर सवाल के जवाब में कहा, ''किसी भी पक्ष को इलाके में ऐसा कोई कदम उठाना चाहिए जिससे स्थिति जटिल हो। चीन सैन्य निरीक्षण और नियंत्रण के उद्देश्य से किसी भी इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास का विरोध करता है।
भारत और चीन के सैनिकों के बीच पांच महीने से ज्यादा समय से पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के बीच भारत ने यहां पुलों के निर्माण को तेज कर दिया है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के रणनीतिक रूप से अहम क्षेत्रों में बनाए गए 44 पुलों का उद्घाटन किया। रक्षा मंत्री ने अरूणाचल प्रदेश में नेचिफू सुरंग की आधारशिला रखी। इस 450 मीटर लंबी सुरंग से नेचिफू पास के पार सभी मौसम में संपर्क सुनिश्चित होगा।
इन पुलों में 10 जम्मू-कश्मीर में, आठ लद्दाख में, दो हिमाचल प्रदेश में, पंजाब और सिक्किम में चार-चार तथा उत्तराखंड एवं अरुणाचल प्रदेश में आठ-आठ पुल हैं। अपने संबोधन में सिंह ने सरहदी इलाकों में अवसंरचना में सुधार की उपलब्धि के लिए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की तारीफ की और कहा कि एक बार में 44 पुलों को समर्पित करना अपने आप में एक रिकॉर्ड है।